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सर्वसम्पत्करी भिक्षा
दृष्टोऽसंकल्पितस्यापि लाभ एवमसंभवः । नोक्त इत्याप्ततासिद्धिर्यतिधर्मोऽति दुष्करः ॥८॥
इस प्रकार संकल्पपूर्वक न बनाया हुआ भोजन प्राप्त करना भी एक अनुभव में आने वाली बात है और तब हम कह सकते हैं कि हमारे द्वारा आप्त माने गए व्यक्ति ने कोई असंभव बात नहीं कही जिससे सिद्ध यह हुआ कि यह व्यक्ति सचमुच आप्त है । हाँ, एक साधु का धर्म अत्यंत कठिन अवश्य है ।
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(टिप्पणी) विरोधी वादी ने अभी यह सिद्ध करना चाहा था कि आचार्य हरिभद्र द्वारा आदर्श रूप से कल्पित साधु-चर्या एक असंभव बात है उत्तर में आचार्य हरिभद्र कहते हैं कि उनके द्वारा आदर्श रूप से कल्पित साधु चर्या एक असंभव बात नहीं लेकिन एक अत्यन्त कठिन बात अवश्य है ।
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