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थे। वे तेजस्विता में कोमल, अवस्था में तरुण,तपस्या में वृद्ध, यश में महान, प्रशंसनीय श्रेष्ठता में स्थित सदाचारों के भवन, श्रुतियों के आश्रय, क्षमांकुरों की भूमि, मैत्रीसुधा के पात्र, प्रसादगुण के प्रासाद और साधुता के सिंधु थे।९१ ।
आसन पर बैठकर वे सुमेरु पर्वत पर आसीन ब्रह्मा के समान सुशोभित हुए१२ । राजा के शब्दों में वे उन मुनियों में अन्यतम थे जो राजाओं को धूलि, स्त्रीवृन्द को तारा, संपत्ति को मृत्यु, भोग को रोग तथा लक्ष्मी को राजयक्ष्मा समझते हैं९३ । ____ दमनक वाग्वैदग्ध्य में किसी से पीछे नहीं थे। उन्होंने रानी प्रियंगुमंजरी द्वारा श्लिष्ट शब्दों में की गई निंदा का यथोचित उत्तर दिया। दमनक निर्लोभ प्रवृत्ति के थे। उन्होंने राजा और रानी द्वारा दिए गए पुरस्कारों को लौटा दिया। वे नैष्ठिक ब्रह्मचारी थे और नित्यकर्मों में कभी व्यतिक्रम नहीं आने देते थे। दमनक के चरित्र से नायिका दमयन्ती के माता-पिता के चारित्रिक गुणों के प्रदर्शन में योग मिला है।
हंस
हंस पक्षी योनि का होने पर भी नल-दमयन्ती के प्रेमोपचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। उसके आश्चर्यमय रूप, मधुर वाणी, प्रगाढ़ बुद्धि, उदारतायुक्त अर्थ प्रकाशन और गंभीरतापूर्ण वर्णोच्चारण आदि गुणों ने नल को प्रथम दर्शन में ही अनुरक्त कर लिया। वह अत्यन्त विनयशील है। वह अपनी प्रिया हंसिनी को अपना हृदय, जीव, उच्छास, प्राण और संसार-सुखसर्वस्व ही मानता है। प्रेमी जीव होने से ही वह नल को प्रेमप्रपंच नाटक का नायक बनाने के लिए कृतसंकल्प हो गया। उसने बड़े ही मनोयोगपूर्वक भीम, प्रियंगुमंजरी और उनकी संतान दमयन्ती के व्यक्तित्व का परिचय कराया। उसमें पक्षी सुलभ चंचलता है; परन्तु विचारशीलता का अभाव नहीं है। उसने दमयन्ती को आशीर्वाद दिया
कन्दर्पस्य जगजैत्रशस्त्रेणाश्चर्यकारिणी।
रूपेणानेन रम्भोरु दीर्घायुः सुखिनी भव॥५ ___ एक ओर जहाँ उसने दमयन्ती के प्रति नल को उत्कंठित किया वहाँ दूसरी ओर उसने दमयन्ती में भी नल के प्रति प्रणय का अंकुर उत्पन्न करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। दमयन्ती ने उसके दर्शनीय रूप, आश्चर्यपूर्ण तथा विशिष्ट अर्थों वाली वाणी, संस्कृतविचारशक्ति, सौजन्य तथा निष्कारण-उपकार-धात्री मैत्री आदि की प्रशंसा की है। उसने दमयन्ती के सामने नल के अनुपम गुणों का बखान करके उसके प्रेमांकुर को प्रवृद्ध कर दिया। दमयन्ती से मुक्तावली लेकर उसने नल को पुनः दमयन्ती की अनुरक्ति की सूचना दी। इस प्रकार वह दोनों के जीवन के लिए अविस्मरणीय उपकारी बन गया। नल-दमयन्ती के प्रेम को उद्दीप्त करने वाले कुशल दूत के रूप में दमयन्तीकथाचम्पू में हंस का महत्त्व है।
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