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स्वयं त्रिविक्रम भट्ट ने अपने चम्पू को उदात्त नायक से युक्त, प्रसाद, ओज, माधुर्यादि गुणों से समन्वित गद्य-पद्यात्मक रचना कहा है
उदात्तनायकोपेता, गुणववृत्तमुक्तका। ___ चम्पूश्च हारयष्टिश्च केन न क्रियते हृदि॥२५ इन परिभाषाओं को आधार मानकर कहा जा सकता है कि गद्य-पद्य-मिश्रित वह श्रव्य काव्य, जो विस्तृत व बन्धयुक्त हो, जिसमें अलंकृत-वर्णन की ओर विशेष रुचि प्रदर्शित की जाय, जिसमें प्रसादादि गुणों का यथोचित समावेश हो, जो रससिक्त हो, चम्पू कहा जाता है।
किसी भी कथा को चम्पू का रूप दिया जा सकता है, परन्तु उसमें उपर्युक्त विशेषताओं का समावेश अवश्य हो जाना चाहिए।
नल दमयन्ती कथा - चम्पूकाव्य के रूप में महाकवि त्रिविक्रम भट्ट ने अपनी कृति को दमयन्ती कथा चम्पू या दमयन्तीचम्पू नाम दिया है। इससे स्पष्ट है कवि इसे गद्यकाव्य की विशिष्ट विधा 'कथा' के रूप में लिखना चाहता था
और शैली तथा अन्य विशेषताओं की दृष्टि से उसे चम्पू-काव्य भी बनाना चाहता था। इसका एक कारण यह भी था कि इसके पहले चम्पू-काव्य लिखने का प्रचार नहीं था। यद्यपि ऐतरेयब्राह्मण में हरिश्चन्द्रोपाख्यान और कठोपनिषद् में नचिकेतोपाख्यान मिश्र-शैली में ही लिखे गये हैं। जातक भी मिश्रशैली में रचित है। उद्योतनाचार्य कृत कुवलयमाला कहा भी मिश्रशैली में ग्रथित है। हरिषेण की समुद्रगुप्त-प्रशस्ति भी गद्य-पद्य-मिश्रित शैली का उदाहरण है। तो भी अलंकृत-काव्य-शैली का आश्रय लेकर उत्कृष्ट-बन्ध के रूप में चम्पू-काव्य-शैली की प्रथम रचना दमयन्ती कथा या दमयन्तीचम्पू ही है। इसके बाद तो इस शैली में प्रभूत रचनाएँ देखने को मिलती हैं। अब तक २४५ चम्पू प्राप्त हो चुके हैं।२६ ___धीर-प्रशान्त नायक की सभी भाषाओं में निर्मित गद्य या पद्य की कहानी को 'कथा' कहा गया है।२७ विश्वनाथ के अनुसार कथा गद्य में ही लिखी हुई होनी चाहिए। बीच-बीच में आर्या, वक्त्र या अपवक्त्र छन्द का प्रयोग हो सकता है। आरम्भ मंगलाचरण और दुष्टवृत्त-कीर्तन से होना चाहिए२८-,
कथायां सरसं वस्तु गद्यैरेव विनिर्मितम्। क्वचिदत्र भवेदार्या क्वचिद् वक्त्रापवक्त्रके॥
आदौ पद्यैनमस्कारः खलादेर्वृत्तकीर्तनम्। दमयन्ती कथा में प्रारम्भ में इष्टदेवता की प्रार्थना करके मंगलाचरण किया गया है। इसके बाद खलों की वन्दना की गई है जिससे वे किसी कार्य में बाधक न बनें। सत्कार्य के लिए प्रेरणा देने वाले महाकवियों की वन्दना भी की गई है। कथा-वस्तु सरस है और मुख्यतया गद्य में निबद्ध
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