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तीसरी बात, गुणविनय के गुरु जयसोमोपाध्याय ने इसकी एक प्रति श्री रत्ननिधानोपाध्याय को प्रवर्तन के लिए अर्थात् शिष्य-प्रशिष्यों की परम्परा में इसका अध्ययन हो, प्रचार हो इस दृष्टि से उनको प्रदान की । अतः इस प्रति का अन्तिम पृष्ठ का फोटो हमने इस ग्रन्थ के प्रारम्भ में दिया है। संशोधन में उसका उपयोग नहीं कर सका ।
पत्र १९७बी टिप्पण में लिखा है :- " राज्ञं प्रसत्यामी धर्मं कुर्वन्ति साधवः तस्मा" । इसे देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि सम्भवतः यह पंक्ति गुणविनयोपाध्याय के द्वारा ही लिखी गई है। अर्थात् गुणविनय ने स्वयं ही इसका संशोधन किया है।
परिशिष्ट
इस ग्रन्थ में कतिपय परिशिष्ट भी दिए गए हैं । मूल और टीका के साथ टिप्पण में दो प्रकार की टिप्पणियाँ दी गई हैं । प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान की प्रति में किनारे पर जो टिप्पण लिखे हुए थे वे यहाँ क्रमाङ्क रहित दिए गए हैं और टीका के पाठान्तर क्रमाङ्क से दिए गए हैं । इसी प्रकार मूल ग्रन्थ के पाठान्तर प्रत्येक उच्छ्वास के अन्त में दिए गए हैं । इस कारण मूल एवं टीका के पाठान्तरों को परिशिष्ट में सम्मिलित नहीं किया गया है ।
प्रथम परिशिष्ट
इसमें दमयन्तीकथाचम्पूस्थ श्लोकों का अकारानुक्रम दिया गया है । जिसमें उच्छास, मूल श्लोक का आदिपद और श्लोक संख्या दी गई है ।
द्वितीय परिशिष्ट
इस परिशिष्ट में टीकाकार द्वारा उद्धृत गद्य-पद्यों की ग्रन्थानुक्रम से अनुक्रमणिका दी गई है । जिन ग्रन्थों के सन्दर्भ प्राप्त हो गए हैं उनका संकेत कर दिया गया है । जिन ग्रन्थों के संकेत प्राप्त नहीं हुए है, उनके आगे रिक्त कोष्ठक दे दिया गया है ।
तृतीय परिशिष्ट
इसमें दमयन्ती कथा चम्पूगत छन्दों का अकारानुक्रम से वर्गीकरण किया गया है । छन्दों के नाम देकर प्रत्येक उच्छास का क्रमांक दिया गया है ।
आभार
सच्चारित्रनिष्ठ मेरे परमाराध्य परम पूज्य गुरु श्री जिनमणिसागरसूरिजी महाराज का अमोघ आशीर्वाद एवं कृपा का फल है कि मैं साहित्य सेवी बन सका और निरन्तर साहित्य सेवा के पथ पर अग्रसर रहा ।
प्रस्तुत पुस्तक के सम्पादन में हस्तलिखित ग्रन्थों को प्राप्त करने, प्रतिलिपि करने और टिप्पणी आदि देने में राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर और अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर कार्यकर्त्तागण धन्यवाद के पात्र हैं। जिन प्रकाशित संस्करणों का मैंने सहयोग लिया है उन सभी के सम्पादक और प्रकाशक धन्यवाद के अधिकारी हैं। गुणविनयोपाध्याय के सम्बन्ध में जो
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