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अढाई द्वीप (मनुष्य क्षेत्र) द्वि-र्धातकी खण्डे ||12||
सूत्रार्थ : धातकी खण्ड में क्षेत्र और पर्वत जम्बूद्वीप से दुगुने हैं। पुष्करार्धे च - ||13||
सूत्रार्थ : पुष्करवरार्द्धद्वीप में भी (घातकीखण्ड द्वीप के समान) उतने ही क्षेत्र और पर्वत हैं। प्रागमानुषोत्तरान्मनुष्याः ||14||
सूत्रार्थ : मानुषोत्तर पर्वत के पहले तक ही मनुष्य हैं।
विवेचन : मनुष्यलोक से अभिप्राय है जहां तक मनुष्य रहते हो या जिस क्षेत्र में मनुष्य का जन्म-मरण होता हो। ढ़ाईद्वीप और इनके मध्य में आनेवाले दो समुद्र यह मनुष्यलोक है। ढाई द्वीप
समुद्र 1. जम्बूद्वीप
लवण समुद्र 2. धातकी खंड द्वीप
कालोदधि समुद्र 3. 1/2 (आधा) पुष्करवर द्वीप | मनुष्य इसी क्षेत्र में पाये जाते हैं।
जम्बूद्वीप की अपेक्षा धातकीखण्ड द्वीप में दुगुने पर्वत और क्षेत्र है। तथा आधा पुष्करवर द्वीप धातकीखण्ड द्वीप के समान है।
धातकीखण्ड में 2 मेरूपर्वत, 12 वर्षधरपर्वत तथा 14 क्षेत्र है। इतने ही पुष्करवरार्द्ध द्वीप में
द्वीप और समुद्र एक-दूसरे से चारों ओर से वेष्टित है। जम्बूद्वीप लवण समुद्र से, लवण समुद्र धातकी खण्ड द्वीप से, धातकीखण्ड द्वीप कालोदधि समुद्र से, कालोदधि समुद्र पुष्करवरद्वीप से चारों ओर से वेष्टित है।
पुष्करवरद्वीप में मानुषोत्तर पर्वत उत्तर दक्षिण विस्तृत है। नाम के अनुरूप यह मनुष्यलोक की सीमा है। इससे आगे के द्वीप समुद्रों में मनुष्य का जन्म एवं निवास नहीं होता है। शास्त्रों में कहीं कहीं वर्णन आता है कि चारण मुनि, विद्याधर नंदीश्वर द्वीप जाते है। देवों द्वारा अपहरण किये मनुष्य भी अढाई द्वीप की सीमा से बाहर ले जाये जा सकते हैं। किन्तु वहाँ उनका निवास चिरकाल तक नहीं हो पाता, जन्म मरण तो मानुषोत्तर पर्वत की सीमा में ही होते हैं।