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________________ 3. जाति, कुल आदि का अभिमान करने से। 4. पठन-पाठन करने वालों की निंदा-टीका-अंतराय या अरुचिभाव रखने से। 5. जिनेन्द्र भगवान्, तीर्थंकर, गुरु माता-पिता आदि महापुरुषों की भक्ति न करने से तथा उनके प्रति निंदा, तिरस्कार भाव रखने आदि कारणों से नीच गोत्र का बंध होता है। गोत्र कर्म का परिणाम (फल) विपाक (फल) दृष्टि से विचार करते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि जो व्यक्ति अहंकार नहीं करता, वह प्रतिष्ठित कुल में जन्म लेकर निम्नोक्त आठ विशेष क्षमताओं से युक्त होता है। | 1. निष्कलंक मातृ-पक्ष (जाति) 2. प्रतिष्ठित पितृ-पक्ष (कुल) 3. सबल शरीर 4. सौंदर्य युक्त शरीर 15. उच्च साधना एवं तप शक्ति 6. तीव्र बुद्धि एवं सम्पत्ति पर अधिकार 17. लाभ एवं विविध उपलब्धियाँ 8. अधिकार, स्वामित्व एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति लेकिन अंहकारी व्यक्तित्व उपर्युक्त समग्र क्षमताओं से अथवा इनमें से किन्हीं विशेष क्षमताओं से वंचित रहता है। 62
SR No.004054
Book TitleJain Dharm Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2011
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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