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* जयउ सामिय चैत्यवंदन * जयउ सामिय ! जयउ सामिय ! रिसह ! सत्तुंजि, उज्जिति पहु - नेमिजिण ! जयउ वीर ! सच्चउरि मंडण ! भरुअच्छहिं मुणिसुव्वय ! महुरिपास ! दुह - दुरिअ - खंडण अवर विदेहिं तित्थयरा, चिहुं दिसि विदिसि जिं के वि, तिआणागय - संपइय, वंदूं, जिण सव्वे वि कम्मभूमिहिं कम्मभूमिहिं पढम संघयणि, उक्कोसय सत्तिरसय, जिणवराण विहरंत लब्भइः नवकोडिहिंकेवलिण, कोडि सहस्स नव साहु गम्मइ। संपइ जिणवरण बीस मुणि बिहुं कोडिहिं वरनाण, समणह कोडि सहस्स दुअ, थुणिज्जइ निच्च विहाणि सत्ताणवइ सहस्सा, लक्खा छप्पन्न अट्ठकोडिओ। चउसय - छायासीया, तिअलोए चेइए वंदे वंदे नवकोडिसयं, पणवीसं कोडि लक्ख तेवन्ना। अट्ठावीस सहस्सा, चउसय अठ्ठासिया पडिमा
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जयउ सामिय:- हे स्वामी ! जय हो। रिसह :- श्री ऋषभदेव। सत्तुंजि :- शत्रुजय गिरि पर।
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