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जयउ सामिय :- हे स्वामी ! जय हो। रिसह :- श्री ऋषभदेव। सत्तुंजि:- शत्रुजय गिरि पर।
उज्जित :- श्री गिरनार पर्वत पर पहु नेमि जिण :- हे प्रभो नेमिजिन।
जयउ :- आपकी जय हो। वीर :- हे महावीर स्वामी।
सच्चउरि मंडण :साचोर नगर के मंडनरुप।
महुरि पास:मथुरा में विराजित है पार्श्वनाथ प्रभो।
दुह - दुरिअ - खंडण :दुःख और पाप का नाश करनेवाले।
भरुअच्छहिं मुणिसुव्वय :- भरुच में विराजित मुनिसुव्रत प्रभो।
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