SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 88
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तप बाल तप हैं सम्यगज्ञान के अभाव में किया गया यह अज्ञान तप भी देवायु का बंध कराता है। आगमों में ऐसे अनेक बाल तपस्वियों का वर्णन है। तामली तापस, अग्निशर्मा आदि भी बाल तप के फलस्वरुप देवगति में गये। 4. अकाम निर्जरा :- अनिच्छा से या दबाव से, भय से या पराधीनता से, लोभवश या मजबूरी से भूख आदि के कष्ट को सहन करना अकाम निर्जरा है। यद्यपि पेड - पौधे, नारकी आदि जीव भयंकर कष्ट सहते है, उन्हें अनिच्छा से कष्ट सहना पडता है तथापि सम्यग्ज्ञान न होने से वे कष्ट के समय समभाव एवं आत्म - चिंतन नहीं कर पाते । मजबूरी में कष्ट सहने से उनकी अकाम निर्जरा होती है किंतु साथ ही दान होने से वे देवायु का बंध नहीं कर पाते। ******** इत्यादि 83
SR No.004052
Book TitleJain Dharm Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2011
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy