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भूमिका
कैटलॉग पार्ट ४, क्रमांक २२९३ पर अंकित है । इसकी साईज २६.८×११.३ पत्र १०, पंक्ति १७ और प्रति पंक्ति अक्षर ४९ हैं । त्रिपाठ है बीच में मूल पाठ दिया गया है और ऊपर नीचे टीका दी गई है । संशोधित प्रति है । जहाँ-जहाँ लेखन/मन्तव्य छूट गया है वहाँ-वहाँ हाँसियों पर एवं ऊपर-नीचे लिखा गया है । कई स्थानों पर स्थानाभाव से अक्षर अस्पष्ट हो गये हैं जो पढ़ने में नहीं आ रहे हैं । 5बी का पत्र कोण खण्डित होने के कारण कई अक्षर पढ़ने में छूट गये हैं । इसीलिए उसको मैंने टिप्पणी में देना ही उचित समझा है। प्रति शुद्ध एवं
।
स्फीत है ।
७. केशाः कञ्जालिकाशाभाः पद्यस्य व्याख्या १८वीं शताब्दी में पण्डित महिमामेरु लिखित इसकी प्रति बीकानेर ज्ञानभण्डार में प्राप्त है ।
८. खचरानन पश्य सखे खचर पद्यस्य व्याख्यात्रिकम् - श्रीलालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर, अहमदाबाद, मुनिश्री पुण्यविजयजी संग्रह, ग्रन्थाङ्क २६९७, आकार - २५x१२ से.मी., पत्र २ [१बी एवं २ए ] पंक्ति कुल ३४ । अक्षर ६० ।
९. यामाता पद्यस्य व्याख्या - इसकी प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर, अहमदाबाद में मुनि पुण्यविजयजी के संग्रह में ग्रन्थाङ्क २६९७ पर है। आकार २५x१२, पत्र १ए, पंक्ति कुल २४, अक्षर प्रति पंक्ति ६० ।
१०. ओकेशोपकेशपदद्वयदशार्थी इस कृति की रचना उपकेशगच्छीय़ आचार्य श्रीसिद्धसूरि के आग्रह से सं० १६५५ में बीकानेर में हुई है। इसकी अनेकों प्रतियाँ बीकानेर, जयपुर, कोटा आदि भण्डारों में प्राप्त
हैं ।
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११. खरतरपदनवार्थी - यह कृति ओकेशोपकेशपदद्वयदशार्थी के साथ ही लिखी हुई प्राप्त होती है ।
१२. चतुर्दशस्वरस्थापनवादस्थल इसकी प्राचीन प्रति उपाध्याय श्री जयचन्द्रजी संग्रह, शाखा कार्यालय राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, बीकानेर, श्री कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा, अहमदाबाद नं. १६१७७ पत्र ५, ले.
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