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अ० १६ / प्र० १
तत्त्वार्थसूत्र / ३३७
इस प्रकार सूत्रकार और भाष्यकार सम्प्रदायगत भेद, सूत्र और भाष्य में उपलब्ध विसंगतियों तथा अन्य अन्तरंग - बहिरंग हेतुओं से सिद्ध है कि सूत्रकार और भाष्यकार अलग-अलग व्यक्ति हैं, एक नहीं। इसके अतिरिक्त अनेक प्रमाणों से यह सिद्ध होता तत्त्वार्थसूत्र पर पूज्यपाद स्वामी द्वारा लिखी गई सर्वार्थसिद्धि टीका तत्त्वार्थाधिगमभाष्य से पूर्ववर्ती है। इससे भी साबित होता है कि तत्त्वार्थसूत्र के कर्त्ता तथा भाष्य के कर्त्ता भिन्न-भिन्न व्यक्ति हैं। इस तथ्य का उद्घाटन अगले प्रकरण में किया जा रहा है।
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