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अ० १२ / प्र०२
कसायपाहुड / ७२९ उपर्युक्त अन्तरंग एवं बहिरंग प्रमाणों से सिद्ध है कि कसायपाहुड न श्वेताम्बरपरम्परा का ग्रन्थ है, न यापनीयपरम्परा का, न इन दोनों की काल्पनिक मातृपरम्परा का। यह तो सवस्त्रमुक्तिविरोधी एवं स्त्रीमुक्तिविरोधी दिगम्बरपरम्परा का ग्रन्थ है। इसके रचयिता गुणधर दिगम्बराचार्य थे और चूर्णिसूत्रकार यतिवृषभ भी दिगम्बराचार्य थे।
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