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अ०११ / प्र०४
षट्खण्डागम / ६५९
आचार्य वीरसेन स्वामी ने भी धवला टीका में स्पष्ट किया है कि उक्त 'अण्णदरस्स' इत्यादि सूत्र में स्त्रीवेदी से भावस्त्री अर्थ ही ग्राह्य है
"ण च देवाणं उक्कस्साउअं दव्वित्थिवेदेण सह बज्झइ, णियमा णिग्गंथलिंगेणे त्ति सुत्त्रेण सह विरोहादो। ण च दव्वित्थीणं णिग्गंथत्तमत्थि, चेलादिपरिच्चाएण विणा तासिं भावणिग्गंथत्ताभावादो। ण च दव्वित्थि - णवुंसयवेदाणं चेलादिचागो अत्थि, छेदसुत्तेण सह विरोहादो।" (धवला / ष .खं / पु.११ / ४,२,६,१२/पृ.११४-११५)।
अनुवाद - " देवों की भी उत्कृष्ट आयु द्रव्यस्त्रीवेद के साथ नहीं बँधती, क्योंकि 'अच्युत कल्प से ऊपर नियमतः निर्ग्रन्थलिंग से ही उत्पन्न होते हैं" (मूलाचार/गा.११७७११७८), इस सूत्र के साथ विरोध आता है । और द्रव्यस्त्रियों के निर्ग्रन्थता सम्भव नहीं है, क्योंकि वस्त्रादि- परित्याग के बिना उनके भावनिर्ग्रन्थता का अभाव है । द्रव्यस्त्रीवेदी व द्रव्यनपुंसकवेदी वस्त्रादि का त्याग करके निर्ग्रन्थलिंग धारण कर सकते हैं, ऐसी संभावना करना भी ठीक नहीं है, क्योंकि वैसा स्वीकार करने पर छेदसूत्र के साथ विरोध होता है ।"
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प्राचीन श्वेताम्बरीय ग्रन्थ पण्णवणासुत्त में भी मणुस्सी को उत्कृष्ट आयु का बंधक बतलाया गया है, यथा
“उक्कोसकालठितीयं णं भंते! आउअं कम्मं किं णेरइयो बंधइ, जाव देवी बंधइ ? गोयमा! णो णेरइयो बंधइ, तिरिक्खजोणिओ बंधति, णो तिरिक्खजोणिणी बंधति । मणुस्सो वि बंधति, मणुस्सी वि बंधति, णो देवो बंधति, णो देवी बंधइ ।" (भाग १ / सूत्र १७४९ / पृ.३८४) ।
इस विवरण में मणुस्सी ( मानुषी) को उत्कृष्ट आयु का बन्धक बतलाया गया है । उत्कृष्ट आयु सातवें नरक के नारकियों और सर्वार्थसिद्धि के देवों की होती है। किन्तु इसी प्रज्ञापनासूत्र में द्रव्यमानुषियों की सातवें नरक में उत्पत्ति का निषेध किया गया है । यथा—
'अधेसत्तमापुढवि-नेरइया णं भंते! कतोहिंतो उववज्जंति ? गोयमा ! एवं चेव । नवरं इत्थीहिंतो (वि) पडिसेधो कातव्वो ।" (सूत्र ६४६ / पृ. १७४ ) । अतः स्पष्ट है कि 'पण्णवणासुत्त' के उपर्युक्त उद्धरण में 'मणुस्सी' शब्द भावमानुषी के अर्थ में प्रयुक्त है, क्योंकि उसको उत्कृष्ट देवों और नारकियों की उत्कृष्ट आयु का बन्ध संभव
है।
सर्वार्थसिद्धि की भी उत्कृष्ट आयु का बन्ध द्रव्यमानुषी नहीं कर सकती, यह भी दिगम्बर, श्वेताम्बर और यापनीय, तीनों परम्पराओं को मान्य है । इसका भी सप्रमाण विवेचन पूर्व में किया जा चुका है।
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