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३५४ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड २
अ०१० / प्र०४
में निश्चय - व्यवहार के आश्रय से उक्त अनेकान्त का स्पष्टीकरण अनुपलब्ध है)।
५. द्रव्य और गुण - पर्याय का कुण्ड-बदरवत् आधाराधेयसम्बन्ध है या दण्डदण्डवत् स्वस्वामिसम्बन्ध अथवा वैशेषिकसम्मत समवायसम्बन्ध, उमास्वाति ने इसका स्पष्टीकरण नहीं किया । कुन्दकुन्द ने पृथक्त्व और अन्यत्व में भेद बतलाते हुए इसका युक्ति एवं दृष्टान्त द्वारा सम्यक् स्पष्टीकरण किया है। (प्र.सा./ २ / १४,१६) ।
६. उमास्वाति ने केवल इतना कहा है कि द्रव्य गुणपर्याय - वियुक्त नहीं होता । कुन्दकुन्द ने इसे पल्लवित करके कहा है कि द्रव्य के बिना पर्याय नहीं होती और पर्याय के बिना द्रव्य । इसी प्रकार गुणों के बिना द्रव्य नहीं होता और द्रव्य के बिना गुण। अर्थात् भाव (वस्तु) द्रव्य - गुण - पर्यायात्मक है (पं.का. / गा.१२-१३) ।
७. उमास्वाति ने सत् को उत्पादव्यय- ध्रौव्यात्मक कहा है, किन्तु उत्पादादि का परस्पर और द्रव्य-गुण- पर्याय के साथ कैसा सम्बन्ध है, इसे स्पष्ट नहीं किया। वह कुन्दकुन्द ने किया है । (प्र.सा. २ / ८ ) ।
८. कुन्दकुन्द ने सत्कार्यवाद और असत्कार्यवाद का समन्वय किया है (पं.का./ १५,१९,६०), जो तत्त्वार्थसूत्र में अनुपलब्ध है।
९. उमास्वाति ने यह समाधान तो किया है कि धर्मादि द्रव्य अमूर्त हैं, अत एव सभी की एकत्र वृत्ति हो सकती है। किन्तु एक दूसरा प्रश्न यह भी हो सकता है कि यदि इन सभी की एकत्र वृत्ति हो सकती है, वे सभी परस्पर प्रविष्ट हैं, तो उन सभी की एकता क्यों न मानी जाय ? इस प्रश्न का समाधान उमास्वाति ने नहीं, आचार्य कुन्दकुन्द ने किया है कि ऐसा होते हुए भी वे स्वभाव का परित्याग नहीं करते, इसलिए उनमें भेद बना रहता है। (पं.का./गा. ७) ।
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१०. उमास्वाति के 'तत्त्वार्थ' में स्याद्वाद का जो रूप है वह आगमगत स्याद्वाद के विकास का सूचक नहीं है। भगवतीसूत्र की तरह उमास्वति ने भी भंगों में एकवचन आदि वचनभेदों को प्राधान्य दिया है। किन्तु आचार्य कुन्दकुन्द ने भंगों में वचनभेद को महत्त्व नहीं दिया है ।
११. जैन आगमों और उमास्वाति के 'तत्त्वार्थ' में द्रव्यों के साधर्म्य - वैधर्म्य के प्रकरण में रूपि और अरूपि शब्दों का प्रयोग देखा जाता है । किन्तु आचार्य कुन्दकुन्द ने इन शब्दों के स्थान में मूर्त और अमूर्त शब्दों का प्रयोग किया है। (पं.का./गा.९९) ।
१३४. तत्त्वार्थसूत्र में नहीं, अपितु उसके भाष्य (५/३१) में स्याद्वाद का रूप प्रदर्शित किया गया है। दोनों के कर्त्ता भिन्न-भिन्न हैं ।
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