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अ०१०/प्र०२
आचार्य कुन्दकुन्द का समय / ३०९
इस तरह आचार्य कुन्दकुन्द को विक्रम की छठी शती का सिद्ध करने के लिए मुनि श्री कल्याणविजय जी द्वारा बतलाया गया प्रत्येक हेतु मिथ्या सिद्ध हो जाता है और यह बात प्रकट हो जाती है कि उन्होंने कपोलकल्पित हेतुओं के द्वारा एक झूठा इतिहास रचने की कोशिश की है, लोगों की आँखों में धूल झौंकने का प्रयास किया है। अष्टम अध्याय में तथा इस अध्याय के प्रथम प्रकरण में उपस्थित किये गये पट्टावलीय, अभिलेखीय एवं साहित्यिक प्रमाण सिद्ध कर देते हैं कि आचार्य कुन्दकुन्द ईसापूर्वोत्तर प्रथम शताब्दी में हुए थे ।
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