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________________ अ०१०/प्र०१ आचार्य कुन्दकुन्द का समय / २४३ शताब्दी में आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती ने 'लब्धिसार' नामक ग्रन्थ में पहले यतिवृषभ के मत का निर्देश किया है, तदनन्तर भूतबलि के मत का। इससे स्पष्ट है कि यतिवृषभ के चूर्णिसूत्र मूलग्रन्थों के समान ही महत्त्वपूर्ण और उपयोगी थे। --- चूर्णिसूत्रकार यतिवृषभ के व्यक्तित्व में निम्नलिखित विशेषताएँ उपलब्ध हैं १. यतिवृषभ आठवें कर्मप्रवाद के ज्ञाता थे। २. नन्दिसूत्र के प्रमाण से ये कर्मप्रकृति के भी ज्ञाता सिद्ध होते हैं। ३. आर्यमंक्षु और नागहस्ती का शिष्यत्व इन्होंने स्वीकार किया था। ४. आत्मसाधक होने के साथ ये श्रुताराधक हैं। ५. धवला और जयधवला में भूतबलि और यतिवृषभ के मतभेद परिलक्षित होते हैं। ६. व्यक्तित्व की महनीयता की दृष्टि से यतिवृषभ भूतबलि के समकक्ष हैं। इनके मतों की मान्यता सार्वजनीन है। ७. चूर्णिसूत्रों में यतिवृषभ ने सूत्रशैली को प्रतिबिम्बित किया है। ८. परम्परा से प्रचलित ज्ञान को आत्मसात् कर चूर्णिसूत्रों की रचना की गई ९. यतिवृषभ आगमवेत्ता तो थे ही, पर उन्होंने सभी परम्पराओं में प्रचलित उपदेशशैली का परिज्ञान प्राप्त किया और अपनी सूक्ष्म प्रतिभा का चूर्णिसूत्रों में उपयोग किया।" (ती.म.आ.प./ खं.२ / पृ.८२)। इन शब्दों में यतिवृषभ के व्यक्तित्व की महिमा प्रकट करने के बाद डॉ० नेमिचन्द्र जी शास्त्री लिखते हैं "चूर्णिसूत्रकार आचार्य यतिवृषभ के समय के सम्बन्ध में विचार करने से ज्ञात होता है कि ये षट्खण्डागमकार भूतबलि के समकालीन अथवा उनके कुछ ही उत्तरवर्ती हैं। कुन्दकुन्द तो इनसे अवश्य प्राचीन हैं।" (ती.म.आ.प. / खं.२ / पृ.८२)। ____ यतिवृषभ ने तिलोयपण्णत्ती में लोकविभाग, संगाइणी और लोकविनिश्चय ग्रन्थों का उल्लेख किया है। (देखिये, पा.टि.५७)। वर्तमान में सर्वनन्दी द्वारा शक सं० ३८० विणिग्गय-चुण्णिसुत्तादो। चुण्णिसुत्तमण्ण्हा किं ण होदि? ण, रागदोसमोहा-भावेण पमाणत्तमुवगय-जइवसह-वयणस्स असच्चत्तविरोहादो" जयधवला / प्र.पृ.४६। (पुरातनजैनवाक्य-सूची / प्रस्तावना / पृ०३१ । Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004043
Book TitleJain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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