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[ अठारह ]
१.
२.
२.१०.३.कालभेद
नवम प्रकरण – अन्य विरुद्ध मतों का निरसन
O उपसंहार
जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड २
५२४
O
२.१०.२.१. क्रमवाद और युगपद्वाद २.१०.२.२. तीर्थंकरों की सवस्त्र प्रव्रज्या और निर्वस्त्र प्रव्रज्या
२.१०.२.३. आभूषणों से जिनेन्द्रपूजा का विधान एवं निषेध
२.१०.२.४. मुनि को कम्बलदान का विधान एवं निषेध
२.१०.२.५. केवली के द्वारा तीर्थंकर को प्रणाम का विधान एवं निषेध
२.१०.२.६. पार्श्वनाथ पर उपसर्ग अमान्य एवं
मान्य
ब्र० भूरामल जी का मत निरसन
पं० जुगलकिशोर जी मुख्तार का मत
निरसन
एकादश अध्याय
षट्खण्डागम
प्रथम प्रकरण – यापनीयग्रन्थ मानने के पक्ष में प्रस्तुत हेतु यापनीयपक्षधर ग्रन्थलेखक की अनिश्चयात्मक मनोदशा
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द्वितीय प्रकरण - षट्खण्डागम का रचनाकाल : ई० पू० प्रथम शती का पूर्वार्ध
१. षट्खण्डागम की रचना कुन्दकुन्द से पूर्व
२.
विक्रम की पाँचवीं शती के मत का निरसन
३. षट्खण्डागम के तत्त्वार्थसूत्र से प्राचीन होने के प्रमाण
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