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अन्तस्तत्त्व
निरसन : केवल इण्डि० ऐन्टि० - पट्टावली प्रामाणिक, कुन्दकुन्दकाल ईसापूर्वोत्तर प्रथम शती
→ आचार्य हस्तीमल जी का 'मूले कुठाराघातः '
२. द्वितीय (संशोधित) मत : कुन्दकुन्दकाल ८ वीं शती ई० D 'भूले-बिसरे ऐतिहासिक तथ्य' : गजसिंह राठौड़
O निरसन : कुन्दकुन्दकाल के सुनिश्चित संवत् का उल्लेख केवल इण्डि० ऐण्टिo में
चतुर्थ प्रकरण - मालवणिया जी के दार्शनिक विकासवाद का निरसन १. मालवणिया जी की तीन अवधारणाएँ
२. कुन्दकुन्दसाहित्य में जैनेतर दर्शनों का अनुकरण नहीं
२.१. कुन्दकुन्द द्वैताद्वैत के रूप में द्वैतवाद के ही प्रतिपादक मालवणिया जी का मत
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तदनुसार
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निरसन
२.२. शाश्वत, उच्छेद, शून्य, विज्ञान आदि वस्तुधर्मों की संज्ञाएँ मालवणिया जी का मत
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निरसन
२.३. विष्णुकर्तृत्व और आत्मकर्तृत्व दोनों अपसिद्धान्त मालवणिया जी का मत
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निरसन
२. ४. शुभ, अशुभ, शुद्ध उपयोग जिनोपदिष्ट
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मालवणिया जी का मत
निरसन
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२.५. कर्तृत्व-अकर्तृत्व का निरूपण जिनागमाश्रित
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मालवणिया जी का मत
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निरसन
२.६. सांख्य और जैन मतों के पारस्परिक वैपरीत्य का प्रदर्शन
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मालवणिया जी का मत निरसन
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३. विषयवैविध्य एवं व्याख्या - दृष्टान्तादिगत विस्तार अर्वाचीनता के लक्षण नहीं
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