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________________ यापनीयसंघ का इतिहास / ५१३ वि० सं० १३६ वि० सं० ५२६ वि० सं० ७०५ वि० सं० ७५३ वि० सं० ९५३ वि० सं० १८०० गाथा ४५ इस उत्तरोत्तर बढ़ती हुई वर्षसंख्या के क्रम को देखते हुए वि० सं० ७०५ के स्थान में वि० सं० २०५ का निर्देश युक्तिसंगत प्रतीत नहीं होता । अतः वहाँ वि० सं० ७०५ ही युक्तियुक्त सिद्ध होता है । तथापि इनमें से किसी भी संघ का उत्पत्तिकाल विश्वसनीय नहीं है, क्योंकि देवसेन ने स्वयं लिखा है कि उन्होंने 'दर्शनसार' ग्रन्थ की रचना माघ शुक्ल दशमी के दिन वि० सं० ९०९ में धारानगरी में की है । ५८ तंब उसके ४४ वर्ष बाद वि० सं० ९५३ में उत्पन्न होनेवाले माथुरसंघ की उत्पत्ति का कालनिर्देश विश्वसनीय कैसे हो सकता है? इसी प्रकार वि० सं० १८०० के बाद भावी भिल्लकसंघ का प्रादुर्भाव बतलाना भी दर्शनसार के सम्पूर्ण कालनिर्धारण को अविश्वसनीय सिद्ध कर देता है। इसके अतिरिक्त प्रस्तुत ग्रन्थ के 'दिगम्बर- श्वेताम्बर अ० ७ / प्र० १ गाथा ११ गाथा २८ गाथा २९ गाथा ३८ गाथा ४० Jain Education International श्वेताम्बरसंघ ५२ द्राविड़संघ ५३ यापनीयसंघ ५४ काष्ठासंघ ५५ माथुरसंघ - ५६ भिल्लकसंघ ५७ - - - ५२. छत्तीसे वरिससए विक्कमरायस्स मरणपत्तस्स । सोरट्टे वलहीए उप्पण्णो सेवडो संघो ॥ ११ ॥ दर्शनसार । ५३. पंचसए छव्वीसे विक्कमरायस्स मरणपत्तस्स । दक्खिण - महुरा-जादो दाविडसंघो महामोहो ॥ २८ ॥ दर्शनसार । ५४. कल्लाणे वरणयरे सत्तसए पंच उत्तरे जादे । जावणिय- संघभावो सिरिकलसादो हु सेवडदो ॥ २९ ॥ दर्शनसार । ५५. सत्तसर तेवण्णे विक्कमरायस्स मरणपत्तस्स । णंदियडे वरगामे कट्ठो संघो मुणेयव्वो ॥ ३८ ॥ दर्शनसार । ५६. तत्तो दु-सएतीदे महुराए माहुराण गुरुणाहो । णामेण रामसेणो णिप्पिच्छं वण्णियं तेण ॥ ४० ॥ दर्शनसार । ५७. दक्खिणदेसे विंझे पुक्कलए वीरचंदमुणिणाहो । अट्ठारसतीदे भिल्लयसंघ परूवेदि ॥ ४५ ॥ दर्शनसार । ५८. पुव्वायरियकयाई गाहाई संचिऊण एयत्थ । सिरिदेवसेणगणिणा धाराए संवसंतेण ॥ ४९ ॥ दर्शनसार । रइयो दंसणसारो हारो भव्वाण णवसए णवए । सिरिपासणाहगेहे सुविसुद्धे माह सुद्धदसमीए ॥ ५० ॥ दर्शनसार । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004042
Book TitleJain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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