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अ०५/प्र०२
पुरातत्त्व में दिगम्बर-परम्परा के प्रमाण / ४१३ अन्य दो विशाल पाषाण मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हुईं। --- किन्तु जो ब्रोन्ज-धातु-निर्मित मूर्ति अब प्रकाश में आई है, वह उपर्युक्त समस्त प्रतिमाओं से प्राचीन अनुमान की जाती है। उसका निर्माणकाल सम्भवतः सातवीं शती व उसके भी कुछ वर्ष पूर्व प्रतीत होता है।"४७
इनके अतिरिक्त मध्यप्रदेश के खजुराहो, अहार, भोजपुर, कुण्डलपुर, नैनागिरि आदि तीर्थों में दसवीं शती ई० से लेकर पन्द्रहवीं शती तक की प्राचीन नग्न जिन प्रतिमाएँ पद्मासन और कायोत्सर्ग मुद्राओं में विद्यमान हैं।
इस प्रकार ३००० ई० पू० से लेकर आज तक प्रत्येक ऐतिहासिक युग में निर्मित नग्न जिनप्रतिमाएँ उपलब्ध होती हैं। अब श्वेताम्बर-परम्परा की सवस्त्र जिनप्रतिमाओं के इतिहास पर दृष्टिपात किया जाय।
४७. वही / पृ.३५३-३५४।
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