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३३२ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड १
अ०४ / प्र० २
पृष्ठ ५५१) । इसी तरह महावीर भी अपनी जाति तथा वंश के आधार पर णाटपुत्त कहे जाते थे और उनके अनुयायी निर्ग्रन्थ 'नाथपुत्रीय निगंठ' कहे जाते थे (बुद्धचर्या / पृ. ४८१)" (जै.सा.इ. / पू.पी. / पृ. २२३ - २२४ ) ।
इस कथन से स्पष्ट होता है कि निर्ग्रथश्रमणों के अनुयायी श्रावक का पुत्र होने से ही सच्चक को निर्ग्रन्थपुत्र कहा गया है, न कि स्वयं के निर्ग्रन्थ श्रमण होने से। यदि स्वयं निर्ग्रन्थ श्रमण होता तो उसे निग्रंथ ही कहा जाता, निर्ग्रन्थपुत्र नहीं । सच्चक के निर्ग्रन्थ श्रावक होने के अन्य प्रमाण भी हैं, यथा
१. भगवान् बुद्ध से वाद करते समय सच्चक के माथे से पसीने की बूँदे टपकने लगती हैं और उसके उत्तरासंग ( उत्तरीय = दुपट्टे ) को भेद कर भूमि पर गिर जाती हैं। उसकी इस दशा को सूचित करते हुए बुद्ध उससे कहते हैं- "तुम्हं खो पन, अग्गिवेस्सन, अप्पेकच्चानि सेदफुसितानि नलाटामुत्तानि, उत्तरासङ्गं विनिभिन्दित्वा भूमियं पतिट्ठितानि ।" (चूळसच्चकसुत्त / मज्झिमनिकायपालि / १ . मूलपण्णासक / पृ. ३२१ / बौद्ध भारती, वाराणसी) ।
इससे ज्ञात होता है कि सच्चक दुपट्टा ओढ़े हुआ था और दुपट्टा ओढ़ने से सिद्ध होता है कि वह अधोवस्त्र भी धारण किये होगा। इससे उसका एक शाटक ( एकवस्त्रधारी) न होना सूचित होता है। यह पहला प्रमाण है कि सच्चक न तो मुनि श्री कल्याणविजय जी की मान्यतानुसार एक वस्त्रधारी श्वेताम्बर साधु था, न बाबू कामताप्रसाद जी के मतानुसार निर्ग्रन्थ सम्प्रदाय का 'एलक' नामक उत्कृष्ट श्रावक, अपितु वह एक सामान्य गृहस्थ था ।
२. सच्चक गौतम बुद्ध को भोजन के लिए अपने बगीचे में आमन्त्रित करता है और नाना प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनवाकर बुद्ध तथा उनके सम्पूर्ण भिक्षुसंघ को अपने हाथ से परोसकर भोजन कराता है । यह बात निम्नलिखित शब्दों में कही गई है
"अथ खो सच्चको निगण्ठपुत्तो सके आरामे पणीतं खादनीयं भोजनीयं पटियादापेत्वा भगवतो कालं आरोचापेसि - "कालो, भो गोतम, निट्ठितं भत्तं" ति । अथ खो भगवा पुब्बण्हसमयं निवासेत्वा पत्तचीवरमादाय येन सच्चकस्स निगण्ठपुत्तस्स आरामो तेनुपसङ्कमि । उपसङ्कमित्वा पञ्ञते आसने निसीदि सद्धिं भिक्खुसङ्गेन । अथ खो सच्चको निगण्ठपुत्तो बुद्धप्पमुखं भिक्खुसङ्गं पणीतेन खादनीयेन भोजनीयेन सहत्था सन्तप्पेसि सम्पवारेसि।" (चूळसच्चकसुत्त / मज्झिमनिकायपालि / १. मूलपण्णासक/ पृ. ३२५ / बौद्ध-भारती, वाराणसी) ।
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