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श्वेताम्बर साहित्य में दिगम्बरमत की चर्चा / १६५
अ० ३ / प्र० १
चाहिए कि वस्त्रधारी सुखी रहता है और वस्त्रत्यागी दुःखी, इसलिए मैं वस्त्रधारण
करूँगा।"
यहाँ भी जिनरूपधर (दिगम्बरवेशधारी) को ही अचेल कहा गया है। निष्कर्ष यह कि आचारांगादि आगमों में 'अचेल' शब्द का प्रयोग 'अल्पचेल' अर्थ में कहीं भी नहीं किया गया है, सर्वत्र 'सर्वथा वस्त्ररहित' अर्थ में ही किया गया है। 'अचेल ' शब्द पर 'अल्पचेल' अर्थ आरोपित करने का श्रेय व्याख्याकारों को है । अतः सिद्ध है कि श्वेताम्बर - आगमों के अनुसार भी भगवान् ऋषभदेव और महावीर ने जिनरूप (दिगम्बरवेश) धारण करने का ही उपदेश दिया था, सचेलरूप धारण करने का नहीं, इसलिए दिगम्बरपरम्परा भगवान् ऋषभदेव - जितनी प्राचीन है।
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आचारांग-स्थानांग में अचेलत्व की श्रेष्ठता का वर्णन
आचारांग में अचेलकधर्म या दिगम्बरलिंग के अनेक गुण बतलाये गये हैं । यथा, उससे आर्त्तध्यान के एक बड़े कारण की निवृत्ति हो जाती है, परीषह सहने का अवसर मिलता है, तथा तप संभव होता है। निम्नलिखित सूत्र द्रष्टव्य है
"एयं खु मुणी आयाणं सया सुयक्खायधम्मे विहूयकप्पे निज्झोसइत्ता, जे अचेले परिवुसिए तस्य णं भिक्खुस्स नो एवं भवइ - परिजुण्णे मे वत्थे वत्थं जाइस्सामि, सुत्तं जाइस्सामि, सूई जाइस्सामि, संधिस्सामि, सीविस्सामि, उक्कसिस्सामि, वुक्कसिस्सामि, परिहिस्सामि, पाउणिस्सामि । अदुवा तत्थ परिक्कमंतं भुज्जो अचेलं तणफासा फुसंति, सीयफासा फुसंति, तेउफासा फुसंति, दंसमसगफासा फुसंति, एगयरे अन्नयरे विरूवरूवे फासे अहियासेइ अचेले लाघवं आगममाणे, तवे से अभिसमन्नागए भवइ, जहेयं भगवया पवेइयं तमेव अभिसमिच्चा सव्वओ सव्वत्ताए संमत्तमेव समभिजाणिज्जा, एवं तेसिं महावीराणं चिररायं पुव्वाइं वासाणि रीयमाणाणं दवियाणं पास अहियासियं । " ( आचारांग /१/६/३/१८२) ।
अनुवाद - " धर्म को अच्छी तरह जाननेवाला और आचार का पालन करनेवाला जो मुनि कर्मबन्ध के कारणभूत वस्त्रादि को छोड़कर अचेल (निर्वस्त्र) रहता है, उसे यह चिन्ता नहीं सताती कि मेरा वस्त्र जीर्ण हो गया है, अब मुझे वस्त्र की याचना करनी है, वस्त्र सीने के लिये धागा माँगना है, सुई माँगनी है, फटे वस्त्र को सीलना है, छोटे वस्त्र को दूसरा वस्त्र जोड़कर बड़ा करना है, बड़े वस्त्र को छोटा करना है, उसे पहनूँ या ओढूँ । अथवा वस्त्ररहित मुनि को भ्रमण करते हुए तृण चुभा है, ठंड लगती है, गर्मी लगती है, डाँस - मच्छर काटते हैं, तो ऐसे विविध परीषहों
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