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अन्तस्तत्त्व
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बृहत्कथाकोश का भद्रबाहुकथानक (ई० ९३१) - अर्धफालकसंघ एवं काम्बलतीर्थ ७. देवसेनकृत 'भावसंग्रह' (प्राकृत) की भद्रबाहुकथा
(९३३-९५५ ई०) ८. रत्ननन्दिकृत भद्रबाहुचरित (१६ वीं शती ई०) ९. विसंगतियाँ १०. विश्वसनीय अंश
११. श्वेताम्बरसाहित्य में भद्रबाहु-विवाद-कथा द्वितीय प्रकरण-डॉ० सागरमल जी का अन्तिम मत इतिहास-सम्मत
१. अनेक दिशाओं में भटकी विचारयात्रा २. आज का दिगम्बरसंघ भद्रबाहु-नीत अचेल निर्ग्रन्थसंघ
का ही प्रतिनिधि तृतीय प्रकरण-श्वेताम्बरसाहित्य का विकास - निर्णीतार्थ
सप्तम अध्याय
यापनीयसंघ का इतिहास प्रथम प्रकरण-यापनीयसंघ का स्वरूप
१. सिद्धान्त और आचार - अचेलकता-सचेलकता दोनों के पक्षधर २. बोटिक शिवभूति यापनीयमत का प्रवर्तक नहीं ३. श्वेताम्बरसंघ से यापनीयसंघ की उत्पत्ति ४. उत्तरभारत की सचेलाचेल-निर्ग्रन्थ-परम्परा काल्पनिक ५. दिगम्बरसंघ से यापनीयसंघ की उत्पत्ति नहीं - आचार्य हस्तीमल जी के मत की असमीचीनता ६. सिद्धान्तविपरीत वेशग्रहण का प्रयोजन
६.१. श्वेताम्बर-दिगम्बरों में सैद्धान्तिक मेल कराना ६.२. सैद्धान्तिक मेल की कल्पना अयुक्तिसंगत ६.३. लोकमान्यता-राजमान्यता की प्राप्ति
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