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________________ ४१० ४११ ४१२ - ४१२ ४३१ ४३२ ४३२ [अठारह] जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड १ ४. लोहानीपुर-जिनप्रतिमा ४०८ ५. कांस्य-जिनप्रतिमा ६. मथुरा-जिनप्रतिमाएँ ७. गुप्तकालीन जिनप्रतिमाएँ ८. बाहुबली की प्रतिमाएँ तृतीय प्रकरण-श्वेताम्बर-सवस्त्र-जिनप्रतिमाओं के निर्माण का इतिहास ४१४ १. ईसा की छठी शताब्दी से ४१४ २. प्राचीन श्वेताम्बरपरम्परा में मूर्तिपूजा का अभाव ४१६ ३. सभी प्राचीन नग्न जिनप्रतिमाएँ दिगम्बरीय ४. नग्न-जिनप्रतिमा-निर्माण एवं पूजन का प्रारम्भ दिगम्बर परम्परा द्वारा ५. आ० हस्तीमल जी के मत के अप्रामाणिक अंश चतुर्थ प्रकरण-अभिलेखों में निर्ग्रन्थों और मूलसंघ के उल्लेख विस्तृत सन्दर्भ ४३७ १. श्री टी० एन० रामचन्द्रन् के लेख का मूलपाठ : HARAPPA AND JAINISM ४३७ २. हड़प्पा-जिनप्रतिमा का चित्र ३. लोहानीपुर-जिनप्रतिमा का चित्र षष्ठ अध्याय दिगम्बर-श्वेताम्बर-भेद का इतिहास प्रथम प्रकरण-संघभेद के साहित्यिक प्रमाण १. यापनीयों से दिगम्बरों की उत्पत्ति का मत भारी छलवाद २. 'दिगम्बर' शब्द 'निर्ग्रन्थ' का नामान्तर ३. जम्बूस्वामी के पश्चात् दिगम्बर-श्वेताम्बर-संघभेद ४४६ ४. द्वादशवर्षीय दुर्भिक्ष से पुनः संघभेद ४५२ ५. ६०० ई० के शिलालेख में दुर्भिक्ष का उल्लेख ४३५ ४४५ ४४५ ४४६ ४५२ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004042
Book TitleJain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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