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________________ अन्तस्तत्व २७७ [पन्द्रह] ७. पंचतन्त्र (३०० ई.) में नग्नक, क्षपणक, दिगम्बर, धर्मवृद्धि २५८ ८. भासकृत 'अविमारक' (३०० ई.) में वस्त्रविहीन श्रमण २६० ९. मत्स्यपुराण (३०० ई.) में निष्कच्छ, निर्ग्रन्थ, नग्न २६१ १०. विष्णुपुराण (३००-४०० ई.) में नाभि, मेरुदेवी, ऋषभ, भरत, नग्न, दिगम्बर, बर्हिपिच्छधर, अनेकान्तवाद २६२ १०.१. भगवान् ऋषभदेव प्रथम मनु स्वायंभुव के पाँचवें वंशज २६२ १०.२. दिगम्बरजैनधर्म विष्णुपुराणकार के समय से अतिप्राचीन २६६ ११. मुद्राराक्षस नाटक (४००-५०० ई.) में क्षपणक, बीभत्सदर्शन .. २६९ १२. वायुपुराण (५०० ई.) में नग्न, निर्ग्रन्थ । २७० १३. वराहमिहिर-बृहत्संहिता (४९० ई.) में नग्न, दिग्वासस् , निर्ग्रन्थ २७१ १४. उत्तरभारत में 'जैन' नाम से दिगम्बर ही सर्वाधिक प्रसिद्ध २७२ १५. भागवतपुराण (६०० ई.) में वातरशन श्रमण, गगन-परिधान २७३ १६. ऋषभदेव का वैदिकधारा पर प्रभाव २७५ १७. जाबालोपनिषद् में दिगम्बरजैन-मुनिधर्मवत् पारमहंस्यधर्म १८. योग के आद्यप्रवर्तक भगवान् ऋषभदेव १९. कादम्बरी-हर्षचरित (७ वीं शती ई.) में क्षपणक, आहेत, नग्नाटक, मयूरपिच्छधारी २०. भर्तृहरि-वैराग्यशतक (७०० ई.) में पाणिपात्र-दिगम्बर २१. (वैदिक) पद्ममहापुराण में निर्ग्रन्थ, क्षपण २२. कूर्मपुराण (७०० ई.) में निर्ग्रन्थ २८७ २३. ब्रह्माण्डपुराण में नग्न, निर्ग्रन्थ २९० २४. लिङ्गपुराण में नग्न ऋषभ .. २५. न्यायकुसुमाञ्जलि (९८४ ई.) में निरावरण, दिगम्बर २६. न्यायमञ्जरी (१००० ई.) में दिगम्बर २९२ २७. प्रबोधचन्द्रोदय (१०६५ ई.) में विमुक्तवसन, क्षपणक, दिगम्बर २८. 'क्षपणक' का अर्थ श्वेताम्बर-जिनकल्पी मुनि नहीं २९. श्वेताम्बरसाधु 'श्वेतपट' या 'सिताम्बर' नाम से प्रसिद्ध २९७ - शिवमहापुराण में श्वेताम्बर साधु २९७ ३०. 'क्षपणक' शब्द यापनीयसाधु का भी वाचक नहीं ३०० ३१. दिगम्बरजैन मुनि और आजीविक साधु में भेद २८१ २८२ २८३ २८३ २९० २९२ २९३ २९५ ३०१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004042
Book TitleJain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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