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[एक सौ आठ]
जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड १ निरसन-'आत्मा' के अर्थ में भी 'समय' शब्द का प्रयोग परम्परागत है।
१३.१२. हेतु-कुन्दकुन्द ने उपयोग के शुभ और अशुभ भेदों के अतिरिक्त तीसरे 'शुद्ध' भेद को भी जन्म दिया है। यह ८ वीं शती ई० से पहले अज्ञात था।
निरसन-आठवीं शती के पहले से लेकर ईसा की प्रथम शती तक के ग्रन्थों में भी शुद्धोपयोग का उल्लेख मिलता है। भगवती-आराधना, मूलाचार, सर्वार्थसिद्धि आदि ग्रन्थ इसके प्रमाण हैं।
१३.१३. हेतु-कुन्दकुन्द स्याद्वाद और सप्तभंगी से परिचित हैं, जब कि उमास्वाति और सिद्धसेन अपरिचित हैं।
निरसन-उमास्वाति ने 'तत्त्वार्थ' के अनेक सूत्रों की रचना कुन्दकुन्द के ग्रन्थों के आधार पर की है। अतः वे स्याद्वाद और सप्तभंगी से परिचित भले न हों, कुन्दकुन्द से हैं।
१३.१४. हेतु-आत्मा के बहिरात्मादि तीन भेदों को पूज्यपाद देवनन्दी ने उपनिषदों से ग्रहण किया है और देवनन्दी से कुन्दकुन्द ने। देवनन्दी ७ वीं शती ई० में हुए थे, अतः कुन्दकुन्द उनसे उत्तरवर्ती हैं।
निरसन–कुन्दकुन्द ने अपने ग्रन्थों में सम्पूर्ण तत्त्वनिरूपण श्रुतकेवली भद्रबाहु के उपदेश के आधार पर किया है, अतः बहिरात्मादि भेदों को उपनिषदों से ग्रहण करने का प्रश्न ही नहीं उठता। तथा पूज्यपाद स्वामी ने 'सर्वार्थसिद्धि' में कुन्दकुन्द के ग्रन्थों की गाथाएँ उद्धृत की हैं और अनेक गाथाओं को अपने 'समाधिशतक' एवं 'इष्टोपदेश' में संस्कृत श्लोकों में ढाला है। अतः वे कुन्दकुन्द से परवर्ती हैं। तथा पूज्यपाद देवनन्दी ५वीं शती ई० में हुए थे, ७ वीं में नहीं।
१४. श्वेताम्बर विद्वान् डॉ० आर० के० चन्द्र का कथन है कि कुन्दकुन्द के 'षट्प्राभृत' में अपभ्रंशभाषा का प्रयोग है, इसलिए उसका रचनाकाल अपभ्रंशयुग (पाँचवीं-छठी शताब्दी ई०) में चला जाता है।
डॉ० चन्द्र का अपभ्रंश-प्रयोग को ईसा की पाँचवीं-छठी शताब्दी से सम्बद्ध करना समीचीन नहीं है। इतिहासकार श्री चिमनलाल जैचंद शाह का मत है कि ईसापूर्व द्वितीय शताब्दी के खारवेल-हाथीगुम्फाभिलेख में अपभ्रंश के प्रयोग मिलते हैं। प्रथम शताब्दी ई० में हुए महाकवि कालिदास के 'विक्रमोर्वशीय' नाटक में अपभ्रंश के पद्य मिलते हैं, जिन्हें प्राकृतभाषाविद् जर्मन विद्वान् डॉ. रिचार्ड पिशल ने मौलिक बतलाया है। ईसापूर्व तृतीय शताब्दी के अशोक के शिलालेखों में तो हिन्दी के प्रयोग भी मिलते हैं, और स्वयं डॉ० आर० के० चन्द्र ने ईसापूर्व पाँचवीं शती की कृति माने जानेवाले
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