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________________ ७० ७१-७४ ७१ ७२ महाभारत व्याकरणग्रन्थ दर्शनशास्त्र विशेष तुलना बृहत्संहिता और अनन्तवीर्य दो अविद्धकर्ण और , अनन्तवीर्य का समय . शिलालेखोल्लेख ग्रन्थोल्लेख ग्रन्थोल्लेखों की समीक्षा विद्यानन्द और अनन्तवीर्य अनन्तकीर्ति , , सोमदेव , , अनन्तवीर्य का समय ९५०-९९० तक सिद्ध करनेवाले प्रमाण विप्रतिपत्तियों की आलोचना अनन्तवीर्य के प्रन्थ ६०-१६४ ३. ग्रन्थ परिचय सिद्धिविनिश्चय की अकलकतकता नाम का इतिहास विषयविभाजन रचनाशैली टीका की शैली आन्तरिक विषयपरिचय ९०-९२ ९२ ९२-९४ ९४-१६४ ९५-१३१ ९५ 9 0 0 प्रमाणमीमांसा आत्मा और ज्ञान ज्ञान ही प्रमाण है ज्ञान का स्वसंवेदित्व प्रमाण के लक्षणों का विकास अविसंवाद की प्रायिक स्थिति अविसंवादित्व का प्रकार जैनपरम्परा के दर्शन का स्वरूप प्रत्यक्ष का विषय अवग्रहादिज्ञान केवलज्ञान की सिद्धि और इतिहास निश्चयनय और सर्वज्ञता परोक्षप्रमाण हेतुविचार १०२ १०६ १०८ ११५ ११५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004038
Book TitleSiddhi Vinischay Tika Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnantviryacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1944
Total Pages686
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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