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________________ ( 8 ) ११९ १२१ १२३ १२५ १२६ १२७ १२९ १३२-१३९ १३४ १३९-१६० १४३ १४३ १४२ १४३ १४३ हेत्वाभास कथाविचार जयपराजय व्यवस्था शब्द का स्वरूप आगमश्रुत वेदापौरुषेयत्वविचार शब्द की अर्थवाचकता २. प्रमेयमीमांसा ध्रौव्य और सन्तान सामान्यविशेषात्मक अर्थ प्रमेय के भेद जीव का स्वरूप ३. नयमीमांसा परमार्थ और व्यवहार सुनय दुर्नय दो नय द्रव्यार्थिक पर्यायार्थिक द्रव्यास्तिक द्रव्यार्थिक ज्ञाननय अर्थनय और शब्दनय मूलनय सात नैगम नय नैगमाभास संग्रह-संग्रहाभास व्यवहार-व्यवहाराभास ऋजुसूत्र-तदाभास शब्दनय-तदाभास समभिरूढ-तदाभास एवम्भत-तदाभास अर्थनय शब्दनय निश्चय और व्यवहार पंचाध्यायी का नयविभाग कुन्दकुन्द की अध्यात्मभावना स्याद्वाद वस्तुकी अनन्तधर्मात्मकता सदासदात्मक तत्त्व एकानेकात्मक तत्त्व नित्यानित्यात्मक तत्त्व भेदाभेदात्मक तत्त्व ४. निक्षेपमीमांसा निक्षेपों में नययोजना :::::::::::::::::::::::::::::::::::: ::::::::::::::::::::::::::::::::::::: १४४ १४४ १४४ १४५ १४६ १४७ १४८ १४९ १४९ १४९ १५० १५२ १५३ १५७ १५७ १५७ १५७ १५९ १६०-६४ : Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004038
Book TitleSiddhi Vinischay Tika Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnantviryacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1944
Total Pages686
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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