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रहे थे, पौधे बना रहे थे, खेती कर रहे थे। कभी घंटा आधा घंटा पढ़ते थे, पढ़ना कोई गंभीर काम नहीं था-फुरसत के क्षण में हुई बातचीत थी, निकट गुरु के बैठ कर थोड़ी बात कर लेते थे। तो पच्चीस साल तक अगर वे काम के बाहर रह जाते थे तो कोई आश्चर्य नहीं। और अगर आज आपके बच्चे चौदह और पंद्रह साल के बाद ही पूरे अडल्ट, पूरे प्रौढ़ और पूरी प्रौढ़ता की कामवासना की मांग कर रहे हैं तो भी कोई आश्चर्य नहीं, क्योंकि आप उन्हें पूरे गंभीर बनाने की योजना किये हुए हैं।
जिस आदमी को अकाम को उपलब्ध होना है उसे जिंदगी से गंभीरता को अलग कर देना चाहिए अन्यथा बोझ हो जायेगा, और बोझ उसे काम में ले जायेगा। कैसे यह होगा? दो-चार काम तो हर आदमी खोज सकता है जब वह गैर-गंभीर है। कभी आप अपने बच्चों के साथ घर में खेलते हैं? आप कहेंगे, कैसी पागलपन की बात कर रहे हैं आप? बच्चों के साथ और खेल! बाप जब भी बेटे से मिलता है तो गंभीर मिलता है। एक तो मिलता ही नहीं, कभी कोई गंभीर मौका आ जाता तो मिलता है। बेटा जब बाप से मिलता है तब गंभीर मिलता है। वह भी बचा रहता है बाप से। बाप को जब कोई उपदेश देना होता है तब बेटे से मिलता है। बेटे को जब कुछ पैसे लेना होता है तब बाप से मिलता है। ऐसे दोनों बच कर निकलते रहते हैं।
नहीं, कभी आप बच्चों के साथ घर में खेलते हैं, इसे जरा प्रयोग करके देखें। वह परिवार परिवार नहीं है जिसके सारे लोग मिलकर एक घंटा खेलते नहीं। और आप हैरान होंगे-एक घंटा आप खेल कर देखें और एक महीने भर में आप फर्क पायेंगे। आपकी सेक्सुअलिटी में फर्क पड़ना शुरू हो गया। एक काम तो मिला गैर-गंभीर होने का। आप घर में बैठ कर करते क्या हैं? अखबार पढ़ते हैं, अखबार बड़ा गंभीर मामला है। करते क्या हैं घर में बैठ कर? छह घंटा दुकान या दफ्तर में बैठने के बाद घर में करते क्या हैं? चित्र बनाते हैं, कभी बैठ कर रंग-तूलिका...घर की दीवाल रंगते हैं? कैसी बेहूदगी है कि घर की दीवाल भी रंगने के लिए हमें दूसरे आदमी लाने पड़ते हैं, अपनी दीवाल भी नहीं रंग सकते! कभी दीवाल पर कोई चित्र बनाते हैं? जरूरी नहीं कि वह चित्र कोई बड़े चित्रकार जैसे हों, जरूरी यह है कि वह आपसे निकले।
अब बड़े मजे की बात है कि मेरी दीवाल पर अगर किसी दूसरे चित्रकार का चित्र है तो उसे मेरी दीवाल कहने का मुझे हक भी कहां है ? उधार है, बासा है। मेरी दीवाल पर मेरे हाथ का चित्र होना चाहिए। कभी घर में बैठ कर नाचते हैं सबको इकट्ठा करके ? घर के लोग नाचने लगते हैं...नहीं, आप कहेंगे, यह कैसी बातें कर रहे हैं? ___ अगर घर में एक आदमी धार्मिक हो जाये तो सबको बैठा कर वह ऐसा उदासी का और ऐसा रोने का वातावरण तैयार करवाता है कि जिसका कोई हिसाब नहीं। लेकिन घर में अगर आप घंटे भर नाचते हैं...नाचने के लिए विधि और व्यवस्था की जरूरत नहीं कि आप कत्थक या भरतनाट्यम् सीखें और कथकली सीखें। कूद तो सकते हैं! अगर एक घंटे घर में आप मौज से कूदते हैं, नाचते हैं, जो गा सकते हैं गाते हैं, जो बजा सकते हैं बजाते हैं, जो
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ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया
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