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चरित्र है। बहुत गंभीर मामला है। राम हर चीज को बड़ी गंभीरता से ले रहे हैं, उनके लिए खेल नहीं है मामला। उनके लिए जिंदगी एक काम है। कृष्ण के लिए जिंदगी एक खेल है। नाच रहे हैं, तो कुछ मिलने वाला नहीं है। बांसुरी बजा रहे हैं, तो कुछ मिलने वाला नहीं है। राम तो जो भी कर रहे हैं उसमें कम-से-कम चरित्र मिलेगा, मर्यादा मिलेगी, वंश-परंपरा की प्रतिष्ठा मिलेगी। वह सब मिलना है, राम बहुत यूटिलिटेरियन हैं। राम की बुद्धि बहुत उपयोगितावादी है। इसलिए एक धोबी के कहने से वे पत्नी को बाहर फेंक सकते हैं। यूटीलिटी में तकलीफ हो रही है, उपयोगिता में बाधा पड़ रही है। राम की मर्यादा क्षीण हो जायेगी। राम के चरित्र पर धब्बा लग जायेगा। राम की रघुकुल-परंपरा का क्या होगा? यश, वंश, सब उपयोगिता है।
कृष्ण अगर राम की जगह होते तो सीता को फेंक नहीं सकते थे। हो सकता था, खुद ही बांसुरी बजाते हुए भाग जाते। यह हो सकता था, सीता को नहीं फेंक सकते थे। अगर राम की जगह कृष्ण होते तो सीता की अग्नि-परीक्षा नहीं लेते-बहुत बेहूदी बात मालूम पड़ती, बहुत यूटिलिटेरियन मालूम पड़ती। प्रेम की कहीं परीक्षाएं होती हैं? और अगर प्रेम की भी परीक्षा होती है तो फिर इस जिंदगी में बिना परीक्षा के कुछ भी नहीं बचेगा। सीता की परीक्षा ली जा सकी कि तुम आग से गुजरो, क्योंकि प्रेम पवित्र है या नहीं इसका पक्का होना चाहिए। प्रेम अपने आप में ही पवित्र है। प्रेम की और कोई पवित्रता नहीं होती। सीता ने नहीं कहा राम से कि तुम भी गुजरो। तुम भी साथ चले आओ, क्योंकि तुम भी अकेले थे, क्या भरोसा? और स्त्री का तो थोड़ा-बहुत भरोसा हो सकता है, पुरुष का होना जरा मुश्किल है। लेकिन सीता ने नहीं कहा। सीता के लिए जिंदगी एक गंभीरता नहीं है, एक प्रेम है, इसलिए सीता राजी हो गयी। निकल गयी। प्रेम परीक्षा नहीं मांगता, प्रेम सब परीक्षाएं दे सकता है। लेकिन कृष्ण तो बात ही नहीं करते, यह कोई सवाल ही नहीं था। इसलिए कृष्ण के जीवन को हम चरित्र नहीं कहते। कृष्ण के जीवन को हम लीला कहते हैं। वह कृष्ण-लीला है। लीला का मतलब है कि पूरी जिंदगी क्रिएटिव है। परपजिव नहीं है, यूटिलिटेरियन नहीं है। जिंदगी एक खेल है।
धार्मिक आदमी की जिंदगी गंभीर नहीं होती। और जो आदमी गंभीर है वह बोझिल हो जायेगा और जो बोझिल होगा, उसको सेक्स से रास्ता खोजना पड़ेगा। ___ इसलिए जिंदगी जितनी गंभीर होती जा रही है उतनी सेक्सुअलिटी बढ़ रही है। जिंदगी जितनी सीरियस होती जा रही है उतनी सेक्सुअलिटी बढ़ रही है। क्योंकि जितने आप गंभीर होंगे, उतने तनाव से भर जायेंगे। जितने तनाव से भर जायेंगे, उतनी रिलीफ की जरूरत पड़ेगी। इसलिए जिस मुल्क में जितना तनाव है, उतनी ज्यादा कामुकता बढ़ जायेगी, क्योंकि
और कोई रास्ता नहीं दिखता। चित्त बोझिल हो जायेगा। शक्ति को बाहर फेंको, हल्के हो जाओ। एक ही रास्ता रह जायेगा।
दूसरा सूत्र आपसे कहता हूं-जिंदगी को गंभीरता से मत लेना। डोंट टेक इट सीरियसली, सीरियसनेस इज़ ए बेसिक डिसीज़। बहुत बुनियादी बीमारी है सीरियस होना।
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ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया
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