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________________ बिलकुल अच्छा आदमी हूं, मैं पहले भी अच्छा आदमी था, बुरे लोगों के बीच में घिरा था, इसलिए सब गड़बड़ हो रही थी। इसलिए पति पत्नी को छोड़कर भाग जाता है और सोचता है, देखो अब तो मैं माया-मोह के बाहर हो गया। उस स्त्री की वजह से माया-मोह पैदा हो रहा था। इसलिए पुरुष शास्त्रों में लिखते हैं, स्त्री नरक का द्वार है! भागे हुए स्त्री से, भाग गये हैं छोड़कर, अब वह कह रहे हैं, स्त्री नरक का द्वार है। क्योंकि वही उलझा रही थी, मैं तो सदा ही मुक्त था, इसके लिए कारण मिल जाते हैं। अगर हम किसी कएं में बाल्टी डालें और उसमें पानी न हो तो बाल्टी पानी बाहर नहीं ला सकती। बाल्टी उसी पानी को लाती जो कुएं में होता है। बाल्टी सिर्फ बाहर लाने का काम करती है। जब मैं आपको गाली देता हूं तो मेरी गाली आप में क्रोध पैदा नहीं कर सकती। गाली में क्रोध पैदा करवाने की ताकत ही नहीं है। लेकिन आपके भीतर जो क्रोध के पानी का कुआं भरा हुआ है, गाली बाल्टी बन जाती है, आपके क्रोध को बाहर ले आती है। गाली जो है वह प्रोडक्टिव नहीं है, वह सिर्फ मैनिफेस्टिंग है। वह किसी चीज को पैदा नहीं करती सिर्फ अभिव्यक्त करवाती है। लेकिन एक कुएं में बाल्टी न डाली जाये तो कुआं समझेगा अब पानी है ही नहीं, अब निकालता ही नहीं। वह बाल्टी का कसूर था कि बाल्टी भीतर आती थी और पानी की गड़बड़ पैदा होती थी। मैं तो सदा से खाली हूं, पानी है ही नहीं। देखो, अब कोई बाल्टी नहीं आती। अब कहां पानी निकल रहा है? हम सब इसी भ्रम में हैं, अकेले में पता नहीं चलता। असल में हमारे व्यक्तित्व का पता ही हमें दूसरों के साथ चलता है। जब हम दूसरे के साथ हैं तभी पता चलता है कि हमारे भीतर क्या-क्या है। दूसरा मौका बनता है, हमें प्रकट होने का। इसलिए कृपा करके दूसरे को जिम्मेवार मत ठहराना। जिसने भी इस दुनिया में दूसरे को जिम्मेवार ठहराया वह आदमी धार्मिक नहीं हो पाया है। धार्मिक आदमी का मतबल है, टोटल रिस्पांसिबिलिटी इज़ माइन। टोटल, पूरा का पूरा दायित्व मेरा है। अधार्मिक आदमी का मतलब है कि दायित्व किसी और का है, मैं तो भला आदमी हूं, लोग मुझे बुरा किये दे रहे हैं। कोई आपको बुरा नहीं कर रहा है। दूसरी तरकीब, आप भीतर अच्छे विचार करते रहते हैं इसलिए आप भीतर जानते हैं कि भीतर तो मैं अच्छा हूं। जब दूसरों के संबंध में आता हूं तो बाहर बुरा हो जाता हूं। इसलिए यह बाहर से बुरा होना दूसरे के कारण है। अच्छे विचार से बचना, अगर अच्छे आचरण को जन्म देना हो। अगर बुरा आचरण है, कृपा करके बुरा विचार करना, पूरी तरह बुरे हो जाना। पूरी तरह बुरे आदमी के साथ जीना मुश्किल है। आधे अच्छे आदमी के साथ जीने की सुविधा बनायी जा सकती है। आधा अच्छा आदमी बुरे आदमी से भी बुरा है। आधे सत्य पूरे असत्यों से बुरे होते हैं। क्योंकि पूरे असत्य से मुक्त हो जायेंगे आप, आधे असत्य से कभी मुक्त नहीं हो सकते। क्योंकि वह जो आधा सत्य है वह बंधन का काम करेगा। __तो मैं आपसे कहूंगा, विचार के अनुसार आचरण मत बनाना। आचरण के अनुसार ही विचार करना। ताकि चीजें साफ हों और अगर चीजें साफ हुईं तो कोई भी आदमी इस दुनिया अचौर्य 63 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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