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________________ आपसे मैं कहना चाहूंगा कि आप चोरी से बचने की कोशिश का नाम अचोरी मत समझ लेना। चोरी से जो बचा है, वह भी चोरी से बचा हुआ चोर है। चोरी जिसने की है चोरी में फंस गया चोर है। वे दोनों चोर हैं। चोरी उनके भीतर है, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। एक की चोरी व्यवहार तक चली गयी है, एक की चोरी मन तक रह गयी है। लेकिन चोरी का जो असली गहरा आध्यात्मिक, स्प्रिचुअल अर्थ है, वह यह है कि क्या आपके पास अपना चेहरा है? नहीं खोज पाएंगे। आईने के सामने खड़े होंगे, वह जो चेहरा दिखाई पड़ेगा, पता चलेगा वह किसी और का है। हालांकि अब तक उसे हमने अपना ही समझा है। फिर ऐसा भी नहीं है कि हमारे पास एक ही चेहरा हो, जिससे हम चौबीस घंटे काम चलाते हों। चौबीस घंटे हमको फंक्शनली इतने बहुत-से चेहरे बदलने पड़ते हैं-पति के सामने पत्नी को कुछ और ही होना पड़ता है; पति पत्नी के सामने कुछ और होता है, अपनी पत्नी के सामने कुछ और होता है, पड़ोसी की पत्नी के सामने कुछ और होता है। तत्काल चेहरा बदल जाता है। अपने मालिक के सामने कुछ और होता है, अपने नौकर के सामने कुछ और होता है। अगर मेरे इस तरफ मालिक को बिठाल दिया जाये और मेरे इस तरफ नौकर को बिठाल दिया जाये तो मेरा नौकर मेरे आधे चेहरे में कुछ और देखेगा, मेरा मालिक मेरे आधे चेहरे में कुछ और देखेगा- मेरे दो चेहरे एक साथ होंगे। इधर नौकर को मैं दबाता हुआ रहूंगा। इधर मालिक की तरफ मैं पूंछ हिलाता हुआ रहूंगा। यह मेरे एक ही साथ मुझे दोनों काम करने पड़ेंगे। तो कई दफे बहुत लोगों के बीच जब आप होते हैं तो आप गिरगिट हो जाते हैं। इसके साथ कुछ और, उसके साथ कुछ और, इसके साथ कुछ और। बड़ी कठिनाई हो जाती है। ___ मैंने सुना है नसरुद्दीन के बाबत। नसरुद्दीन की दो प्रेयसियां थीं। विनम्र आदमी रहा होगा, नहीं तो दो प्रेयसियों पर कौन रुकता है। दोनों से अलग-अलग मिलता था। दो प्रेयसी से एक साथ मिलना बहुत कठिन है। क्योंकि दोनों को ऐसे चेहरे दिखाये हैं, जो वायदा किया है कि एक को ही दिखाया है। प्रत्येक से कहा, तेरे सिवाय किसी को प्रेम नहीं करता। लेकिन प्रेयसियां भी बहुत होशियार हैं, वे तत्काल पता लगा लेती हैं। वे प्रेमी की इतनी खोज नहीं करतीं जितनी प्रेमी की प्रेयसियों की खोज करती हैं। उन दोनों ने पता लगा लिया और एक दिन नसरुद्दीन को फंसा लिया और नसरुद्दीन से कहा, आज तो हम दोनों को एक साथ जवाब दो। नसरुद्दीन ने कहा, गरीब आदमी को इस तरह मत फंसाओ। क्योंकि तुम दोनों अलग-अलग हो तो बड़ी सुविधा रहती है, इतनी देर में मैं चेहरा बदल लेता हूं। लेकिन उन दोनों ने तो उसे पकड़ लिया और कहा, तुम जवाब दो कि हम दोनों में सुंदर कौन है? नसरुद्दीन ने कहा, तुम एक से एक बढ़कर सुंदर हो, तुम एक दूसरे से बढ़कर सुंदर हो। पता नहीं प्रेयसियां समझ पाईं कि नहीं। शायद ही समझ पायी होंगी, क्योंकि प्रेम से बद्धि का बहत कम संबंध है। पता नहीं आप भी समझ पाये कि नहीं। नसरुद्दीन कह रहा है. तुम एक दूसरे से बढ़कर सुंदर हो! क्या कहना! बड़ी गहरी मजाक नसरुद्दीन आदमी से कर अचौर्य 57 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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