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इसने शतरंज के खेल को जिंदगी समझा हुआ है और इन लोगों ने जिंदगी को शतरंज का खेल बनाया हुआ है। ये दोनों एक से हैं। इनमें बहुत फर्क नहीं है।
उस बूढ़े को उस सम्राट ने पकड़ लिया कि तुम कुछ बुद्धिमानी की बात कह रहे हो। अगर हम दोनों एक से पागल हैं तो तुम कुछ बुद्धिमानी की बात कह रहे हो। मैं क्या करूं? तो उसने कहा कि तुम कुछ मत करो, तुम सिर्फ शतरंज खेलो, जोर से शतरंज खेलो। बड़े शतरंज के खिलाड़ी बुलाये गये और राजा को उनके साथ शतरंज खेलने में लगा दिया गया। साल भर में ऐसा हुआ कि राजा ठीक हो गया और उसके साथ खेलने वाले पागल हो गये। हो ही जायेंगे। राजा ठीक हो गया, क्योंकि साल भर दिन-रात खेलता ही रहा। खेलते-खेलते उसको दिखायी पड़ा कि न तो घोड़ा घोड़ा है, न हाथी हाथी है, सब खेल है। ____ हम बहुत खेल लिये हैं, हम सब खेल लिए हैं, हम सब खेल रहे हैं। लेकिन हमें अभी शतरंज का घोड़ा, शतरंज का घोड़ा नहीं मालूम पड़ता, घोड़ा ही मालूम पड़ता है।
सारे संबंध जिंदगी के, शतरंज का खेल हैं। उसके नियम हैं। उनका पालन करना चाहिए। और ध्यान रहे, जो आदमी जिंदगी को खेल समझता है, उसको नियम-पालन करना बड़ा आसान हो जाता है, कठिनाई ही नहीं रह जाती। तब यह सब गंभीरता नहीं रह जाती, इसमें कोई मामला ही नहीं रह जाता। इसमें कोई कठिनाई नहीं रह जाती। अगर यह खेल है, तो गंभीरता गयी। देन यू आर नॉट सीरियस।
लेकिन कुछ लोग खेल को ही जिंदगी बना लेते हैं, तब वे खेल में भी गंभीर हो जाते हैं, तब खेल में भी तलवारें चल जाती हैं। शतरंज के खिलाड़ियों में तलवारें बहुत दफा चल गयी हैं। अगर शतरंज के घोड़े और हाथी कुछ भी समझते होंगे तो इन खिलाड़ियों पर बहुत हंसे होंगे, कि ये क्या कर रहे हैं? लकड़ी के घोड़े-हाथियों पर तलवारें चला रहे हैं। ___ जिंदगी की हमारी जो व्यवस्था है, वह सारी की सारी व्यवस्था अपनी जगह ठीक है। वस्तुएं वस्तुएं हैं, हैविंग हैविंग है, धन धन है, पद पद है। आत्मा कोई भी नहीं। इस स्मरण का नाम परिग्रह से मुक्ति है। परिग्रह छोड़ कर भाग जाने का नाम नहीं है। इसलिए जिन्हें हम संन्यासी कहते हैं साधारणतया, वे इनवर्टेड परिग्रही हैं, वे शीर्षासन करते हुए परिग्रही हैं। वे सिर्फ उलटे खड़े हो गये हैं, हैं वे आप ही। जो आप हैं, वही वे हैं। बल्कि कई मामलों में वे आपसे भी ज्यादा गंभीर हैं। ___ मैं तो सोच ही नहीं सकता कि संन्यासी और गंभीर! यह असंभव होना चाहिए। संन्यासी अगर गंभीर है तो उसका मतलब है कि वह सिर्फ शीर्षासन लगा कर खड़ा हो गया संसारी है। गंभीरता का मतलब यह है कि संसार बड़ा सार्थक है। वह जो नासमझियों का जाल है, वह बड़ा कीमती है। इसको कीमत हम दो तरह से दे सकते हैं। इसमें उतर कर, डूब कर, इसको छाती से पकड़ कर। इसे हम एक और तरह से कीमत दे सकते हैं। इससे भयभीत होकर, इससे भाग कर। ___एक अंतिम बात। तीन संन्यासी हुए चीन में। जिन्हें मैं संन्यासी कहने को राजी हूं, क्योंकि उन तीन संन्यासियों से ज्यादा गैर-गंभीर आदमी शायद ही हुए हों। उनको लोग जानते
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ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया
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