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________________ 42 गुजरेगी। उतने बड़े शांत और सुखद अनुभव से इतने बड़े दुखद अनुभव में प्रवेश ! बच्चा भूल जाता है। लेकिन गहरी हिप्नोसिस में आपको याद दिलाया जा सकता है कि आप जब पैदा हुए तो आपका अनुभव क्या था । गहरी सम्मोहन की अवस्था में या गहरे ध्यान में, आपको मां पेट के अनुभव भी याद दिलाये जा सकते हैं। अगर आपकी मां गिर पड़ी थी तो वह जो चोट लगी थी, उसकी खबर भी आप तक पहुंची थी। वह भी आपकी स्मृति का हिस्सा है, लेकिन हम भूल गये हैं। ठीक ऐसे ही हम भी बहुत बार मरे हैं, जैसा वह राजा ययाति, जिसकी मैं कहानी कह रहा था, दस बार मौत आयी लेकिन भूलता चला गया। उसने कहा, मैं तो तुझे पहचानता ही नहीं हूं। मैं तो सोचता हूं तू पहली बार ही आयी है, थोड़ा समय मुझे मिल जाये तो मैं अपनी आकांक्षाएं पूरी कर लूं। लेकिन उस मौत ने कहा कि नहीं अब बहुत हो चुका। तुम हजार साल के अनुभव से नहीं सीखे, तो तुम करोड़ वर्ष के अनुभव से भी नहीं सीख सकते हो । जिसे सीखना है वह एक अनुभव से भी सीखता है, जिसे नहीं सीखना है वह अनंत अनुभव से भी नहीं सीखता । हम ऐसे ही लोग हैं, जिन्होंने सीखना बंद कर दिया है। ये जिनको हम महावीर या कृष्ण या बुद्ध कहते हैं, ये वे लोग हैं जो जिंदगी के अनुभव से सीखते हैं। हम ऐसे लोग हैं जो सीखते ही नहीं । हम ऐसे लोग हैं जिन्होंने जान-बूझ कर आंखें बंद कर रखी हैं और सीखेंगे नहीं। और वही करते चले जायेंगे जो हम कर रहे थे; और वही भोगते चले जायेंगे जो हम भोग रहे थे; और वही आशाएं, वही विषाद, वही पुनरावृत्ति और वही चक्र ! कभी आपने शायद खयाल न किया हो, हमारा शब्द है : संसार । संसार का मतलब होता है: द ह्वील, चक्र, जिसमें वही स्पोक बार - बार लौट आते हैं, जिसमें वही धुरी बारबार घूमने लगती है। वह जो भारत के झंडे पर चक्र बनाया हुआ है, वह उन राजनीतिज्ञों को पता नहीं है कि किसलिए बना लिया है। बस, अशोक के स्तंभ पर बना था तो सोचा कि अशोक का चिह्न है, उसे चुन लिया है। लेकिन राजनीतिज्ञ कैसे समझ पायेगा कि वह चक्र एक धार्मिक प्रतीक है। और जितने चक्कर में राजनीतिज्ञ रहता है, उतने चक्कर में तो कोई नहीं रहता है। वह तो चक्के के भीतर है, वह तो स्पोक्स को पकड़ कर बैठा हुआ है, घूम रहा है पूरे वक्त। कुछ दूसरे उसको छुड़ाने की भी कोशिश कर रहे हैं, तो भी छूटता नहीं है । वे दूसरे भी उसे छुड़ा कर उसके स्पोक को खुद पकड़ लेना चाहते हैं । और उन्हें कभी खयाल नहीं आता है कि जिस भांति वे उसको छुड़ाने की कोशिश कर रहे हैं, कुछ लोग उनको छुड़ाने की भी कोशिश करेंगे, जब वे पकड़ लेंगे। वह चल रहा है पूरे वक्त । जगत, संसार, एक चक्र है । जिस चक्र में हम वही किये चले जाते हैं, वही दोहराये चले जाते हैं। कल भी आपने क्रोध किया था, और कल भी आप पछताये थे, और कल भी आपने कसम खायी थी कि अब क्रोध नहीं करेंगे। आज फिर आप क्रोध करेंगे, आज फिर ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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