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________________ चांद पर पहुंचने की आकांक्षा बड़ी रसपूर्ण थी, क्योंकि वह असंभव मालूम पड़ता था। वह इतना असंभव मालूम पड़ता था कि जो लोग चांद पर पहुंचने का खयाल करते थे, उनको हम पागल समझते थे। अंग्रेजी का तो जो पागल के लिए शब्द है लूनाटिक, उसका मतलब है चांदमारा। वह लूना से बना है। जिस आदमी के दिमाग में चांद छा गया, जो अब चांद पर पहुंचना चाहता है, तो उसको पागल कहते थे। हिंदी में भी पागल के लिए चांदमारा शब्द है। जिस पर चांद का हमला हो गया, जो असंभव से पीड़ित हो गया। लेकिन हम सब चांदमारे हैं, हम सब लूनाटिक हैं। लूनाटिक इस अर्थ में कि हम सब असंभव के लिए चाहते रहते हैं। सबसे बड़ा असंभव इस जगत में क्या है-द मोस्ट इंपासिबल? चांद पर पहुंचा जा सकता है, इसलिए अब चांद पर पहुंचने वालों को लूनाटिक कहना ठीक नहीं है। अब बात खतम हो गयी। अब यह शब्द बदल देना चाहिए। अब चांदमारा पागल का पर्यायवाची नहीं रहा। अब तो चांद पर बुद्धिमान आदमी पहुंच गये हैं, शायद मंगल पर पहुंचें, फिर शायद किसी तारे पर पहुंचें। लेकिन ये सब कठिन हैं, असंभव नहीं हैं। __ असंभव सिर्फ जगत में मेरे हिसाब से एक चीज है और वह यह है कि वस्तु को कभी भी आत्मा नहीं बनाया जा सकेगा-हैविंग कैन नॉट बी ट्रांसफार्ड इनटू बीइंग। वह एक असंभावना है जो सुनिश्चित रूप से असंभव रहेगी। इसलिए महावीर या बुद्ध या जीसस उन लोगों को पागल कहते हैं जो परिग्रह में पड़े हैं। परिग्रही, अर्थात पागल। वह एक ऐसे काम में लगा है जो हो ही नहीं सकता है। हो सकता है कि नहीं हो सकता, यही उसका आकर्षण हो। लेकिन आकर्षण से असत्य सत्य नहीं बनते। परिग्रह का सत्य यह है कि वह असंभावना है। __ सुना है मैंने कि सिकंदर से डायोजनीज ने एक बार कहा था कि तू अगर पूरी दुनिया पा लेगा, तो तूने कभी सोचा है कि फिर क्या करेगा? सिकंदर, कहते हैं, सुन कर उदास हो गया और सिकंदर ने कहा, यह मेरे खयाल में नहीं आया। ठीक कहते हैं आप। दूसरी तो कोई दुनिया नहीं है। अगर मैं एक पा लूंगा तो फिर क्या करूंगा। एकदम अनएंप्लाएड हो जाऊंगा, बेकार ही हो जाऊंगा। सिकंदर उदास हो गया यह जान कर कि दूसरी दुनिया नहीं है। इसका मतलब? इसका मतलब यह कि जब वह पूरी दुनिया पा लेगा तब कितनी उदासी होगी, अभी तो सिर्फ खयाल है। आपने कभी सोचा नहीं कि जो आप चाहते हैं, अगर पा लेंगे तो क्या होगा। अगर इस दुनिया में किसी दिन ऐसा इंतजाम किया जा सके जैसा कि कथाओं में वर्णन है, कि स्वर्ग में है-अगर हम कभी इस दुनिया में कल्पवृक्ष बना सके तो प्रत्येक आदमी को महावीर हो जाना पड़ेगा। अगर हम किसी दिन कल्पवृक्ष बना सकें इस दुनिया में, और कल्पवृक्ष के नीचे जो आपने चाहा वह तत्काल मौजूद हो गया, तो सारी दुनिया अपरिग्रही हो जायेगी। कोई परिग्रह नहीं रह जायेगा। क्योंकि जैसे ही कोई चीज आपको तत्काल मिल जाये, आप हैरान 36 ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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