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महावीर की मूर्ति देखी? यह आदमी मालूम पड़ता है कि इसने खुद को सताया होगा? इस आदमी का शरीर देखा? इस आदमी की शान देखी? इस आदमी का सौंदर्य देखा? ऐसा लगता है कि इसने खुद को सताया होगा? कथाएं झूठी होंगी या फिर यह मूर्ति झूठी है! इस आदमी ने अपने को सताया नहीं है। महावीर जैसी सुंदर प्रतिमा, मैं समझता हूं, किसी की भी नहीं है। मैं तो ऐसा ही सोचता हूं निरंतर कि महावीर के नग्न हो जाने में उनका सौंदर्य भी कारण है। असल में कुरूप आदमी नग्न नहीं हो सकता। कुरूप आदमी वस्त्र को सदा संभाल कर रखेगा, क्योंकि वस्त्रों में सौंदर्य को कोई नहीं छिपाता, वस्त्रों में सिर्फ कुरूपता छिपायी जाती है।
जो-जो अंग सुंदर होते हैं वह तो हम वस्त्रों के बाहर कर देते हैं। जो-जो अंग कुरूप होते हैं, उन्हें हम वस्त्रों में छिपा लेते हैं। महावीर सर्वांग-सुंदर मालूम होते हैं। ऐसे अनुपात वाला शरीर मुश्किल से दिखाई पड़ता है। इस आदमी की जितनी सताने की कथाएं हैं, मुझे नहीं लगता, इस आदमी पर घटी होंगी। अन्यथा हमें मूर्ति बदल देनी चाहिए। यह मूर्ति सच्ची नहीं मालूम होती। ___ मैं मानता हूं कि मूर्ति सच्ची है, कथाएं झूठी हैं। असल में कथाएं मैसोचिस्ट्स ने लिखी हैं। कथाएं उन्होंने लिखी हैं जो स्वयं को सताने के लिए उत्प्रेरित हैं। वे कथाएं ढाल रहे हैं। वे महावीर के आनंद को भी दुख बना रहे हैं। वे महावीर की मौज को भी त्याग बना रहे हैं। वे महावीर के भोग को भी, परम भोग को भी, त्याग की व्याख्या दे रहे हैं। मेरी दृष्टि में महावीर महल को छोड़ते हैं, क्योंकि बड़ा महल उन्हें दिखाई पड़ गया है। उनकी दृष्टि में वे सिर्फ महल को छोड़ते हैं, कोई बड़ा महल दिखाई नहीं पड़ता। मैं जानता हूं कि महावीर सोने को छोड़ते हैं, क्योंकि वह मिट्टी हो गया और परम स्वर्ण उपलब्ध हो गया है।
अगर महावीर किसी दिन खाना नहीं खाते तो वह अनशन नहीं है, उपवास है। अनशन का मतलब है भूखे मरना। उपवास का मतलब है इतने आनंद में होना कि भूख का पता भी न चले। वह बहुत और बात है। वह बात ही और है। उपवास शब्द आप सुनते हैं! उपवास शब्द में रोटी, भोजन, खाना-पीना कुछ भी नहीं आता। उस शब्द में ही नहीं है वह। उपवास का मतलब है : भीतर, भीतर, और पास और पास होना। टु बी नीयरर टु वन सेल्फ। उपवास का इतना ही मतलब है, अपने पास होना। जब कोई आदमी बहुत गहरे में, भीतर अपने पास होता है, तो शरीर के पास नहीं हो पाता; इसलिए शरीर की भूख-प्यास का उसे स्मरण नहीं होता। अगर शरीर के पास होंगे तभी तो खयाल आयेगा। ___ जब ध्यान बहुत भीतर है तो शरीर से ध्यान चूक जाता है। उपवास का मतलब है, ध्यान की अंतर्यात्रा। उपवास अनशन नहीं है। लेकिन मैसोचिस्ट उपवास को अनशन बना देगा। वह कहेगा कि बिना भूखे रहे आत्मा नहीं मिल सकती। भूखे रहने से आत्मा के मिलने का क्या संबंध हो सकता है? आत्मा भूख को प्रेम करती है? __भूखे रहने से आत्मा के मिलने से कोई संबंध नहीं है। हां, आत्मा के मिलने की घड़ी में भूखा रहना हो सकता है। कभी आपने खयाल किया हो, न किया हो तो अब करना, जिस
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ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया
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