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________________ है कि मार डालूंगा अगर मेरी बात न मानी। और एक दबाना यह हो सकता है कि मर जाऊंगा अगर मेरी बात न मानी। लेकिन दबाना, कोअर्शन जारी है। अच्छे लोग अच्छे ढंग से दबाते हैं, बुरे लोग बुरे ढंग से दबाते हैं। लेकिन बुरे लोग फिर भी सिनसियर हैं, सीधी है बात, जानते हैं कि हाथ में छुरी है। अच्छे आदमी जानते हैं कि हाथ में माला है। लेकिन माला से भी फांसी लगायी जा सकती है। इसका बोध नहीं होता। और अगर हिंसा सूक्ष्म हो तो दो रूप लेती है। एक तो दूसरे की तरफ अहिंसा का चेहरा बनाती है, हिंसा का काम करती है; और दूसरी तरफ अगर हिंसा और भी सूक्ष्म हो जाये तो अपने को भी सताना शुरू कर देती है। मजा यह है कि अहिंसा दूसरे को भी नहीं सता सकती, हिंसा अंततः अपने को भी सता सकती है। तो हिंसा अंत में सेल्फ-टार्चर भी बन जाती है। ___जैसे मैंने कहा-सैडिस्ट। दो तरह के लोग होते हैं। आम तौर से दो ही तरह के लोग होते हैं, तीसरी तरह का आदमी कभी-कभी होता है। कभी कोई महावीर, कोई कृष्ण, कोई बुद्ध, कोई जीसस, कभी...। आमतौर से दो तरह के आदमी होते हैं : दूसरों को सताने वाले लोग और अपने को सताने वाले लोग, पर-पीड़क और आत्म-पीड़क। जैसा मैंने कहा द सादे के बाबत कि वह प्रेम करेगा तो दूसरे को सतायेगा, वैसा एक आदमी हुआ मैसोच। वह अपने को ही सतायेगा। जब तक सुबह से उठ कर अपने को दस-पचास कोड़े न मार ले, तब तक दिन में उसको ताजगी न आयेगी। तो दुनिया में कोड़े मारने वाले संन्यासी हुए हैं, कांटों पर लेटने वाले संन्यासी हुए हैं, कांटों के जूते पहनने वाले संन्यासी हुए हैं, घाव बना लेने वाले संन्यासी हुए हैं। ये किस तरह के लोग हैं? यह संन्यास हुआ? यह धर्म हुआ? __एक आदमी दूसरे को भूखा मारे तो हम कहेंगे अधार्मिक, और एक आदमी अपने को भूखा मारे तो हम जुलूस निकालेंगे! बड़े आश्चर्य की बात है। क्या दूसरे को सताना अधार्मिक तो अपने को सताना धार्मिक हो सकता है? सताना अगर अधार्मिक है तो इससे क्या फर्क पड़ता है कि किसको सताया? हां, दूसरे को सताते तो दूसरा रक्षा भी कर सकता था, अपने को सतायेंगे तो रक्षा का भी उपाय नहीं है। अपने को सताना बहुत आसान है। दूसरे को सताने में हजार तरह की कठिनाइयां हैं-समाज है, कानून है, पुलिस है, अदालत है। अभी तक अपने को सताने के खिलाफ न कोई कानून है, न कोई पुलिस है, न कोई अदालत है। होनी तो चाहिए, क्योंकि कुछ दुष्ट अपने को सताते हैं। जिस दिन अच्छी दुनिया होगी उस दिन उनके लिए भी अदालत होगी। __और ध्यान रहे जो अपने को सताता है, वह सब तरह से दूसरे को सतायेगा ही। क्योंकि जो अपने को नहीं छोड़ता है, वह दूसरे को कैसे छोड़ सकता है? यह असंभव है। यह बिलकुल असंभव है। अगर मैंने अपने को भूखा रख कर जुलूस निकलवा लिया तो ध्यान रखिये मैं आपको भी भूखा रखवाने के सब उपाय करूंगा। और जब तक आपका जुलूस न निकल जाये तब तक चैन न लूंगा। हिंसा और गहरी और सूक्ष्म हो जाती है तो मैसोचिस्ट बन जाती है, आत्म-पीड़क बन जाती है। अहिंसा 21 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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