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इतना दुख देने की भी क्या जरूरत है? मन हुआ कि वह धन्यवाद दे उसकी पत्नी को, लेकिन फिर खयाल आया कि वह सिर्फ गवाह की तरह भेजा गया है। उसे कुछ करना उचित नहीं है। वह खड़ा देखता रहा। __फिर उसने पूछा, मैं जाऊं? रब्बी और उसकी पत्नी दोनों ने पूछा, लेकिन आपने कुछ भी कहा नहीं। उसने कहा, मैं सिर्फ गवाह की तरह भेजा गया हूं। मुझे खबर दे देनी है, जो हो रहा है। मुझे कहा गया है कि मुझे भागीदार नहीं होना है। लेकिन चलते वक्त उसने कहा कि एक खबर आपको जरूर दे जाऊं कि जिंदगी में यह पहला मौका है कि मैं किसी चीज में सिर्फ गवाह था, और मेरा पहला मौका है कि अपनी पूरी जिंदगी के लिए मेरा चित्त हंस रहा है। काश, मैं पूरी जिंदगी ऐसा गवाह हो पाता!
वह वापस चला आया। फिर हसीद फकीर ने पूछा, क्या हुआ? तो उसने कहा, ऐसाऐसा हुआ। हसीद फकीर ने पूछा, तुमने कोई प्रतिक्रिया तो नहीं की? उसने कहा, नहीं, मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की। हसीद फकीर ने पूछा कि अब तुम्हारा क्या खयाल है? अगर तुम उस वक्त प्रतिक्रिया करते तो क्या खयाल होता और अब अगर प्रतिक्रिया करो तो क्या खयाल है? तो उस आदमी ने कहा कि बिलकुल हालत बदल गयी। अगर उस वक्त मैं प्रतिक्रिया करता तो मैं समझता कि वह रब्बी दुश्मन है और उसकी पत्नी मित्र है। लेकिन गवाह की तरह देख आया तो अब मैं कह सकता हूं कि रब्बी आज नहीं कल मित्र बन सकता है, पर उसकी पत्नी के मित्र बनने की कोई उम्मीद नहीं है। हसीद ने पूछा, क्यों? तो उसने कहा कि रब्बी ने इतने जोर से किताब क्रोध में फेंकी कि आज नहीं कल उसे किताब पढ़नी ही पड़ेगी, आज नहीं कल वह पछताएगा। लेकिन पत्नी ने बड़े ठंडे दिल से इतना कहा कि रख दो लाइब्रेरी में, हजार किताबें रखी हैं, यह भी रखी रहेगी। उससे कोई उम्मीद नहीं है कि वह पढ़े। तो अब मैं कह सकता हूं कि रब्बी की पत्नी ही दुश्मन है। रब्बी तो मित्र बन सकता है। वह हसीद हंसने लगा। उसने कहा कि तुम घड़ी के पेंडुलम के सिद्धांत को समझ गए हो। ___जिंदगी बड़ी उलटी प्रतिक्रियाएं इकट्ठी करती है। भोगी रोज-रोज त्याग की कसमें खाता है, त्यागी रोज-रोज भोग की आकांक्षाओं में लिप्त होता है। तंत्र कहता है, दोनों व्यर्थताएं हैं। एक ही सिक्के के दो पहल हैं। तंत्र कहता है ऊर्जा सिर्फ ऊर्जा है। मत देखो भोगने की तरह, मत देखो त्यागने की तरह। देखो ही मत कुछ करने की तरह। सिर्फ ऊर्जा के गवाह बन जाओ, जस्ट बी ए विटनेस। और जैसे ही ऊर्जा का कोई गवाह बने, ऊर्जा न बाहर जाती है, न भीतर जाती है, ऊर्जा खड़ी रह जाती है। और जैसे ही ऊर्जा खड़ी रह जाए, वैसे ही ऊर्जा में रूपांतरण शुरू हो जाता है। __ और एक बड़े मजे का एक दूसरा नियम आपसे कहूं। इस जगत में कोई भी चीज खड़ी नहीं रह सकती। इस जगत में कोई भी चीज ठहर नहीं सकती। इस जगत में कोई भी चीज या तो बाहर जाएगी या भीतर जाएगी। इस जगत में कोई भी चीज या तो आगे जाएगी या पीछे जाएगी। इस जगत में ठहराव नहीं है, यहां कुछ भी ठहरा नहीं रह सकता। प्रत्येक चीज
ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया
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