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परिणाम होगा? तो तंत्र कहता है, जैसे ही जीवन-ऊर्जा को कोई ऊर्जा की भांति, जस्ट ऐज एनर्जी, बिना किसी वैल्युएशन के, बिना किसी मूल्यांकन के देखता है, वैसे ही ऊर्जा ठहर जाती है। न तो वह आगे की तरफ जाती है, न तो वह पीछे की तरफ जाती है। न वह बाहर की तरफ जाती और न वह भीतर की तरफ जाती है। क्योंकि ऊर्जा को हम ले जाते हैं; प्रशंसा से बाहर की तरफ ले जाते हैं, निंदा से भीतर की तरफ ले जाते हैं। __घड़ी के पेंडुलम को हमने घूमते देखा है, लेकिन एक सूत्र खयाल में न आया होगा और वह यह कि जब घड़ी का पेंडुलम बायीं तरफ जाता है तब वह दायीं तरफ जाने की शक्ति अर्जित करता है। और जब वह दायीं तरफ जाता है तब वह बायीं तरफ जाने की शक्ति इकट्ठा करता है। असल में दायीं तरफ जाकर वह बायीं तरफ जाने की तैयारी करता है और बायीं तरफ जाकर दायीं तरफ जाने की तैयारी करता है। उसी हिसाब से वह घूमता रहता है।
जब आप अपनी काम-ऊर्जा की प्रशंसा कर रहे हैं, तब आप निंदा की तैयारी कर रहे हैं; और जब आप निंदा कर रहे हैं तब आप प्रशंसा की तैयारी कर रहे हैं। यह उलटा खयाल एकदम से समझ में नहीं आता। यह ला आफ रिवर्स इफेक्ट है। यह आदमी के मन में विरोधी ऊर्जा इकट्ठी होती रहती है। ___मैंने सुना है, एक यहूदी फकीर हसीद ने एक किताब लिखी है। वह किताब एक क्रांतिकारी किताब थी और यहूदियों का जो आर्थाडाक्स, रूढ़िग्रस्त वर्ग था, वह बहुत कुपित था उस किताब पर। तो उसने अपने एक भक्त को, अपने एक प्रेमी को वह किताब देकर कहा कि यहूदियों का जो सबसे बड़ा रब्बी है, उसको भेंट कर आओ। वह भक्त बहुत घबराया। उसने कहा, पता नहीं, वह कैसा व्यवहार करे? हसीद फकीर ने कहा, तुम उनके व्यवहार का उत्तर मत देना। वह जो भी व्यवहार करे, उसे ठीक-ठीक आकर मुझे बता देना।
और ध्यान रखना कि तुम उनके व्यवहार को रिएक्ट मत करना, नहीं तो तुम ठीक-ठीक खबर न दे पाओगे। तुम सिर्फ देखना कि वह क्या व्यवहार करते हैं। तुम कुछ करने मत लग जाना। अगर वे गाली दें तो तुम गाली का उत्तर मत देना, अगर वह क्रोध करें तो तुम समझाने की कोशिश मत करना। तुम सिर्फ विटनेस, साक्षी रहना, ताकि तुम ठीक-ठीक खबर मुझे दे सको। तुम्हें मैं एक गवाह की तरह वहां भेज रहा हूं।
वह आदमी गवाह की तरह वहां गया। सांझ थी और रब्बी अपनी पत्नी के साथ बगीचे में बैठा था। भक्त ने उसे वह किताब दी और कहा कि फलां फकीर ने आपके लिए भेंट भेजी है। नाम सुनते ही रब्बी ने किताब को उठाकर जोर से फेंक दिया और कहा कि दरवाजे के बाहर रखो। ऐसी अधार्मिक किताबें इस मकान के भीतर भी प्रवेश नहीं कर सकतीं। लेकिन उस आदमी को कहा गया था कि वह सिर्फ गवाह की तरह रहेगा, एक क्षण तो उस आदमी को हुआ कि कुछ करे, एक क्षण तो हुआ कि कुछ कहे, लेकिन उसे कहा गया था कि उसे भागीदार, पार्टीसिपेंट नहीं होना है, उसे सिर्फ गवाह होना है। तो वह खड़ा रहा। तभी रब्बी की पत्नी ने कहा, ऐसा भी क्या क्रोध कर रहे हैं! घर में हजारों किताबें रखी हैं, लाइब्रेरी की रैक पर इसको भी रख दें, और फेंकना भी हो तो पीछे फेंक सकते हैं, इस बेचारे आदमी को
तंत्र (प्रश्नोत्तर) 263
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