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शो, काम - ऊर्जा को ध्यान और समाधि की दिशा में रूपांतरित करने की साधना में तंत्र का क्या योगदान है ? कृपया इसकी रूप-रेखा प्रस्तुत करें।
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प्रश्नोत्तर
तंत्र अद्वैत दर्शन है। जीवन को उसकी समग्रता में तंत्र स्वीकार करता है - बुरे को भी, अशुभ को भी, अंधकार को भी । इसलिए नहीं कि अंधकार अंधकार रहे, इसलिए नहीं कि बुरा बुरा रहे, इसलिए नहीं कि अशुभ अशुभ रहे, बल्कि इसलिए कि अशुभ के भीतर भी रूपांतरित होकर शुभ होने की संभावना है। अंधकार भी निखर कर प्रकाश हो सकता है। और जिसे हम पदार्थ कहते हैं, वह भी अपनी परम गहराइयों में परमात्मा के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है।
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