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________________ उसकी गोली बनाकर खिला दी जाये तो शायद बूढ़ा आदमी जवान हो जाये। उस जैली से बहुत-सी क्रीम भी लोगों ने बनाई और लाखों स्त्रियों के चेहरे पर पोती कि शायद उस जैली से सौंदर्य प्रकट हो जाये। वह जैली विशेष विटामिन्स लिए हुए है, जो अति-कामुकता पैदा कर देती है। ___ तो वह जो रानी मधुमक्खी है उसकी कामुकता का हिसाब लगाना मुश्किल है। वह दो हजार अंडे रोज देती है और देती ही चली जाती है। वह करोड़ों अंडे एक ही मादा पैदा कर देती है, इतनी सेक्स एक्टिविटी उसके भीतर पैदा हो जाती है। और अब तो हम जानते हैं कि हारमोन्स की खोज ने बड़ा स्पष्ट कर दिया है कि अगर एक पुरुष को भी स्त्री हारमोन्स के इंजेक्शन दे दिए जायें तो उसका शरीर पुरुष का न रहकर थोड़े दिनों में स्त्री का हो जाएगा। अगर एक स्त्री शरीर को पुरुष-इंजेक्शन दे दिये जायें तो उसका शरीर थोड़े दिनों में स्त्री का न रहकर पुरुष का हो जाएगा। पैंतालीस से पचास साल के बाद आमतौर से कुछ स्त्रियों को मूंछ आनी शुरू हो जाती है। उसका कुल कारण इतना ही है कि स्त्री हारमोन्स कम हो गए और शरीर में पड़े हुए पुरुष हारमोन प्रभावी होने लगे, इसलिए मूंछ आनी शुरू हो जायेगी। स्त्रियों की आवाज पचास साल के बाद पुरुषों से मेल खाने लगेगी। उसका कुल कारण यही है कि पुरुष हारमोन और स्त्री हारमोन का अनुपात टूट गया। स्त्री हारमोन कम हो गए, पुरुष हारमोन अनुपात में ज्यादा हो गए, तो आवाज में बदलाहट हो जाएगी। ये सारे केमिकल मामले हैं। ___ हम जो भोजन ले रहे हैं उस पर बहुत कुछ निर्भर है। हम कैसा भोजन ले रहे हैं, इस भोजन में यदि मादक तत्व हैं, इस भोजन में यदि मूर्छा लानेवाले तत्व हैं, तो वे शरीर-ऊर्जा को, काम-ऊर्जा को नीचे की तरफ प्रवाहित करेंगे। इस भोजन में अगर उत्तेजक स्टिमुलेंट हैं, एक्टीवाइजर्स हैं, तो वे शरीर की काम-ऊर्जा को नीचे की तरफ प्रवाहित करेंगे। अगर इस भोजन में ट्रैक्वेलाइजर्स हैं, और शामक तत्व हैं जो कि मन को शांत करते हैं, उत्तेजित नहीं करते हैं, तो वे ऊर्जा को ऊपर की तरफ ले जाने में सहयोगी होंगे। यह तो बहुत बड़ी बात है, लेकिन सिद्धांत की बात खयाल में लाई जा सकती है। जो तत्व उत्तेजना देते हों, जो तत्व मूर्छा देते हों, मादकता देते हों, जो तत्व शरीर को भारी कर देते हों, मन को बोझिल कर देते हों, उस तरह के भोजन से निरंतर बचना चाहिए। भोजन ऐसा होना चाहिए जो शरीर को भारी न कर जाये। भोजन ऐसा होना चाहिए जो शरीर को उत्तेजित न कर जाये। भोजन ऐसा होना चाहिए जो शरीर को मादकता न दे, मूर्छा न दे, तंद्रा और निद्रा लानेवाला न बने। तो ऐसा भोजन साधक के लिए सहयोगी होता है। और उसके ऊपर की यात्रा का रास्ता बन जाता है। अगर इसके विपरीत भोजन है, तो साधक की यात्रा कठिन हो जाती है। ऐसा नहीं है कि नहीं हो सकती है, हो सकती है, लेकिन व्यर्थ की कठिनाइयां पैदा हो जाती हैं। गलत भोजन करके भी साधक ऊपर की तरफ जा सकता है, लेकिन व्यर्थ की कठिनाइयां पैदा हो जाती हैं। अकाम (प्रश्नोत्तर) 253 www.jainelibrary.org Jain Education International For Personal & Private Use Only
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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