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इस सूत्र के कुछ उपाय हैं। ये सूत्र हमारे भीतर जाकर कुछ चक्रों पर चोट करना शुरू कर देते हैं और उन चक्रों की शक्ति ऊपर की तरफ उठनी शुरू हो जाती है।
ओम का उपयोग भीतर, उसकी गूंज, शक्तिं को ऊपर ले जाने के लिए थी। अकेले ओम का ही नहीं, मुसलमान कहते हैं आमीन, वह ओम का ही रूप है। क्रिश्चियन भी कहते हैं, आमीन, वह ओम का ही रूप है। अंग्रेजी में शब्द हैं : ओमनीसिएंट, ओमनीपोटेंट, ओमनीप्रेजेंट; वह सब ओम से ही बने हुए शब्द हैं। ओमनीसिएंट का मतलब है, जिसने ओम को देख लिया। ओम का मतलब है, विराट ब्रह्म। ओमनीप्रेजेंट का अर्थ है, जो ओम के साथ मौजूद हो गया। ओमनीपोटेंट का अर्थ है, जो ओम की तरह शक्तिशाली हो गया। जो परमात्मा के बराबर शक्ति-बीज से भर गया। ___ अब यह जो ओम शब्द है उसमें ए यू एम, अ उ म मूल ध्वनियां हैं। ये ध्वनियां अगर व्यवस्था से गुंजायी जायें तो ऊर्जा को ऊपर ले जाने लगती हैं। इससे उलटी ध्वनियां भी हैं, जो चोट की जायें तो ऊर्जा नीचे जाने लगती है।
आज अमरीका में जाज़ है, ट्विस्ट है, शेक है, और जमाने भर के नृत्य हैं। उन सबकी ध्वनि-लहरी, उन सबके रिदम, सेक्स-ऊर्जा को नीचे की तरफ ले जानेवाली हैं। इसलिए अगर आप ट्विस्ट देख रहे हों तो थोड़ी देर में आप पायेंगे कि आपके भीतर ट्विस्ट होना शुरू हो गया। आपके भीतर कोई शक्ति डावांडोल होने लगी। आधुनिक जगत में विकसित सभी नृत्य और सभी संगीत की व्यवस्थाएं मनुष्य के काम का शोषण हैं।
इसलिए आहार का मतलब बड़ा है। इसलिए जो भोजन हम ले रहे हैं उसके परिणाम होंगे ही, उसके परिणाम से हम बच नहीं सकते। क्योंकि हमारा पूरा का पूरा जो जीवनयंत्र है वह साइको केमिकल है। उसमें पीछे मन है, तो नीचे रसायन है। वह रसायन पूरे वक्त काम कर रहा है। केमिस्ट्री हमारे पूरे शरीर में पूरे वक्त काम कर रही है। हम क्या खाते हैं, क्या पीते हैं, उसके परिणाम होंगे। ऐसे भी भोजन हैं जो मनुष्य को ज्यादा कामुक बनाते हैं।
मधुमक्खियों के छत्ते में एक खास तरह की जैली होती है। मधुमक्खियों के बाबत आपको शायद थोड़ा पता हो कि मधुमक्खियों में एक ही रानी मक्खी होती है जो बच्चे पैदा करती है। और बाकी सारी मधुमक्खियां, मादा स्त्री मधुमक्खी जो सिर्फ मजदूर का काम करती हैं, उनकी जिंदगी में सेक्स जैसी कोई चीज नहीं होती। फेवरे, जिसने इन मधुमक्खियों का विराट गहन अध्ययन किया है, वह बड़ी हैरानी में पड़ा कि लाखों मधुमक्खियों की जिंदगी में कोई सेक्स क्यों नहीं होता! आखिर वे भी मादा हैं, उनकी जिंदगी में भी सेक्स का यंत्र पूरा है, लेकिन फिर भी सेक्स नहीं है। बात क्या है? तो उसे बड़ी हैरानी का जो नतीजा निकला वह यह कि मधुमक्खियां खास तरह की जैली इकट्ठी करती हैं जो सिर्फ मादा रानी ही खाती है। बाकी सब मधुमक्खियों को सिर्फ तीन दिन के लिए, जन्म के बाद, वह खाने को मिलती है, उसके बाद खाने को नहीं मिलती। उस जैली में ही सारा राज है।
इसलिए उस जैली को रिजूविनेशन के लिए कई पागलों ने प्रयोग किया...आदमी को
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ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया
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