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मैंने सुना है एक समुराई सरदार, जापान में एक सम्राट, जो बहुत तेजस्वी तलवार चलानेवाला समुराई सरदार है। उसके मुकाबले जापान में कोई आदमी नहीं है जो इतनी अच्छी तरह तलवार चला सके। उसकी कुशलता की कीर्ति दूर-दूर तक जापान के बाहर भी पहुंच गई। लेकिन एक दिन उसे पता चला कि उसका पहरेदार उसकी पत्नी के प्रेम में पड़ गया है। उसने उन दोनों को पकड़ लिया। लेकिन समुराई सरदार था ! उसने कहा कि मन तो मेरा करता है कि तेरी गर्दन काट दूं। लेकिन नहीं, तूने भी प्रेम किया है मेरी पत्नी को, इसलिए उचित यही होगा कि एक तलवार तू ले ले और एक मैं ले लूं। हम दोनों युद्ध में उतर जायें। जो बच जाये वही मालिक हो । उस पहरेदार ने कहा कि मालिक आप ऐसे ही मेरी गर्दन काट दें तो अच्छा है, यह खेल आप क्यों करते हैं? गर्दन मेरी ही कटेगी। क्योंकि मैं तो तलवार पकड़ना भी नहीं जानता, और आप जैसा तलवार चलानेवाला आदमी शायद पृथ्वी पर दूसरा नहीं है। तो आप तलवार से लड़ने का मुझे जो मौका दे रहे हैं, नाहक मखौल और मजाक क्यों करते हैं? तलवार से मेरी गर्दन ऐसे ही काट दें। तलवार से गरदन तो मेरी ही कटेगी, क्योंकि मैं तो तलवार चलाना नहीं जानता। लेकिन उस समुराई सरदार ने कहा कि यह मेरी इज्जत के खिलाफ होगा कि कभी यह कहा जाये कि मैंने बिना तुझे मौका दिए तेरी गर्दन काट दी। तलवार संभाल और मैदान में उतर ।
कोई रास्ता न था। वह गरीब बेचारा डरता हुआ तलवार हाथ में लेकर मैदान में उतरा। गांव इकट्ठा हो गया। खबर फैल गई। सारे लोग जानते हैं कि वह गरीब आदमी मर जाएगा। क्योंकि इस सरदार से तो एक हाथ भी बचाना मुश्किल है। वह इतना कुशल कारीगर है, वह इतना कुशल तलवारबाज है।
लेकिन हालत उलटी हो गई। हालत यह हुई कि जब उस पहरेदार ने तलवार चलानी शुरू की तो उस सरदार के छक्के छूट गए। छक्के इसलिए छूट गए कि वह तलवार बिलकुल बेढंगी चला रहा था। उसको चलाना आता ही नहीं था । उससे बचाव मुश्किल मालूम पड़ा, और वह इतनी पूर्णता से तलवार चला रहा था... क्योंकि उसके जीवन-मरण का सवाल था। सरदार के लिए तो एक खेल का मामला था। वह जानता था अभी काट देंगे, परंतु पहरेदार
लिए जीवन-मृत्यु का सवाल था । तलवार और वह पहरेदार एक ही हो गया। सरदार ने घुटने टेक दिए और कहा कि मुझे माफ कर दे। लेकिन तू यह कर क्या रहा है ?
बामुश्किल उसको रोका जा सका। उसके सामने एक दरख्त था । उसको उसने तलवार से काट डाला, वह इतना एक हो गया। राजा तो हट गया, घुटने टेक दिए, लेकिन उसमें जो ऊर्जा जाग गई थी, उसने जब तक दरख्त नहीं काट डाला तब तक ऊर्जा रुकी नहीं । बामुश्किल उसे रोका जा सका। जब उससे पूछा गया कि यह तुझे हो क्या गया ? तुझमें कहां से यह शक्ति आ गई ?
तो उसने कहा कि मैंने सोचा कि जब मरना ही है तो पूरी तलवार चलाकर ही मर जाना चाहिए। जब मरना ही पक्का है और अब जीने का कोई उपाय नहीं है, तो मैं पहली दफा जिंदगी में इंटीग्रेटेड हो गया। पहली दफा इकट्ठा हो गया। मैंने कहा, अब कोई सवाल नहीं
अकाम (प्रश्नोत्तर)
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