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________________ लेकिन पांच बार कोई आदमी आत्महत्या करके नहीं कर पाया और बच गया, इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि एक हिस्सा उसका बचने की कोशिश में लगा ही रहा होगा। उसने कोशिश भी की होगी, बचने का इंतजाम भी किया होगा, नहीं तो कोई किसी को मरने से रोक सकता है? मरने में भी ऑनेस्टी नहीं है, उसमें भी ईमानदारी नहीं है, तब फिर जीने में ईमानदारी कैसे होगी। जब मरने तक में ईमानदारी नहीं है तो यह जीना पूरा का पूरा डिसऑनेस्टी, बेईमानी होगा ही। ___ जब मैंने उस मित्र को कहा कि शर्म आनी चाहिए, पांच बार मर कर तो मर ही जाना चाहिए था। एक ही बार में मर जाना चाहिए था। अब उनको लाया गया कि वह छठवीं बार मरने का प्रयास कर रहे हैं। तो मैंने उनसे कहा कि और अब नाहक बदनामी होगी, अब मत प्रयास करो। वे बहुत चौंके, क्योंकि वे सोचते होंगे कि मैं उनको समझाऊंगा कि आत्महत्या मत करो। और उन्होंने कहा, आप आदमी कैसे हैं? मुझे जिसके पास भी ले जाया गया उन्होंने मुझे समझाया है कि यह बहुत बुरा काम है। मैंने कहा, मैं नहीं कहता बुरा काम है, मैं कहता हूं, अधूरा करना बहुत बुरी बात है। करना है, पूरा करो। वह आदमी मेरी तरफ थोड़ी देर देखता रहा। फिर बोला, आत्महत्या करनी तो नहीं है, जीना तो मैं भी चाहता हूं, लेकिन अपनी शर्तों के साथ जीना चाहता हूं। अगर मेरी शर्त नहीं मानी गई तो मैं मर जाऊंगा। न तो यह आदमी मरना चाहता है, क्योंकि यह मरना भी शर्तों के साथ चाहता है, और न यह आदमी जीना चाहता है, क्योंकि जीना भी शर्तों के साथ चाहता है। यह आदमी जीयेगा भी तो मरा हुआ जीयेगा, और मरेगा भी किसी दिन तो जीने की आकांक्षा से तड़फता हुआ मरेगा। यह आदमी न जी पाएगा, न मर पाएगा। इसकी जिंदगी में मौत प्रवेश कर गई, इसकी मौत में जिंदगी प्रवेश कर जायेगी। यह आदमी विक्षिप्त हो गया है। ___ हम सब इसी तरह के आदमी हैं। हम सब में बहुत फर्क नहीं है। हम सब ऐसा ही कर रहे हैं। जिसको हम प्रेम करते हैं उसको भी प्रेम नहीं करते। सांझ प्रेम करते हैं, सुबह तलाक देने का विचार करते हैं मन में। फिर दोपहर पश्चात्ताप करते हैं, सांझ क्षमा मांगते हैं, सुबह फिर तलाक देने का विचार करते हैं। मैं एक घर में ठहरा था। उस घर में पति-पत्नी अपने तलाक की एप्लीकेशन बिलकुल तैयार ही रखे हुए हैं, सिर्फ दस्तखत करने की बात है। देखी है मैंने अपनी आंख से। पति ने मुझे बताया कि कई दफा ऐसी हालत हो जाती है कि बस दस्तखत कर दूं। वे तो पूरी तैयारी रखे हुए हैं। मैंने कहा कि इसमें कोई हर्जा नहीं है कि दस्तखत कर दो, लेकिन इसको तैयार रखे हो, यह बड़ी खतरनाक बात है। क्योंकि जिस पत्नी के लिए तलाक देने की एप्लीकेशन तैयार हो, उस पत्नी को पत्नी कहने का कोई अर्थ है? कोई अर्थ नहीं है। लेकिन पत्नी जारी है। यह एप्लीकेशन तो सात साल से तैयार रखी हुई है, वे कहने लगे। यह कोई नई बात नहीं है। इस आधे-आधे जीने के संघर्ष को मैं कहता हूं, ऊर्जा का स्खलन है। यह शक्ति का गंवाना है। इस तरह जिंदगी में हम कभी कुछ भी नहीं उपलब्ध कर पाते हैं। एक छोटी-सी कहानी से मैं अपनी बात समझाऊं। 246 ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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