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________________ गया। तो आप व्यक्ति हैं या यंत्र हैं? आप जो व्यवहार कर रहे हैं वह यंत्र जैसा है। रिएक्शन यांत्रिकता है, प्रतिक्रिया यांत्रिकता है। प्रतिसंवेदन चैतन्य का प्रतीक है। प्रतिसंवेदन बड़ी और बात है। जीसस को लोगों ने सूली दी और जब अंतिम क्षण में जीसस से कहा गया कि प्रार्थना करो परमात्मा से, तो उन्होंने प्रार्थना की कि इन सब लोगों को माफ कर देना क्योंकि इन्हें पता ही नहीं कि ये क्या कर रहे हैं। यह प्रतिसंवेदन है। यह रिस्पांस है। यह एक चेतनगत उत्तर है। किसी को सूली दी जा रही हो उससे यह प्रतिक्रिया नहीं हो सकती। उससे प्रतिक्रिया तो यह होती है कि वह गाली देता, कर्स करता, अभिशाप देता कि मिटा डालना इन सबको; हे परमात्मा, तेरे प्यारे बेटे को ये सब सूली पर लटका रहे हैं। आग लगा देना, नर्क में जला डालना इनको–यह प्रतिक्रिया होती, यह यांत्रिक होती। जीसस ने कहा, माफ कर देना इन सबको क्योंकि इनको पता ही नहीं कि ये क्या कर रहे हैं। यह प्रतिसंवेदन है, यह चेतनगत उत्तर है। ___इसलिए जिस व्यक्ति को साधना की दुनिया में प्रवेश करना है, जिसे संन्यास की यात्रा करनी है, उसे प्रतिपल ध्यान रखना चाहिए कि वह जो कर रहा है वह प्रतिक्रिया है या प्रतिसंवेदन है। वह रिएक्शन है या रिस्पांस है। रास्ते पर एक आदमी का धक्का लग गया है तब एक क्षण रुक जाइये। जल्दी भी क्या है उत्तर देने की। एक क्षण रुक जाइये और देख लीजिये कि जो आप उत्तर दे रहे हैं वह यांत्रिक है या सचेतन है। और आप मुश्किल में पड़ जाएंगे। आप यांत्रिक उत्तर फिर नहीं दे पायेंगे। हो सकता है हंसकर अपने रास्ते पर चले जायें, उत्तर दें ही नहीं। यह भी उत्तर होगा। लेकिन हम इतना भी मौका नहीं देते। इधर बटन दबी, उधर काम हुआ। इधर धक्का लगा, उधर क्रोध निकला। उधर किसी ने प्रशंसा की, इधर हम गुब्बारे की तरह फूले। बड रसल के संबंध में एक मजाक चल गया है। मजाक ही कहना चाहिए, क्योंकि पता नहीं उसने ऐसा किया कि नहीं किया। सुना है मैंने कि मरते वक्त उसके मुंह से निकला, 'हे परमात्मा!' पास में एक पादरी खड़ा हुआ था। वह तो बहुत चकित हुआ। वह बहुत डरते-डरते तो आया था। क्योंकि बड रसल तो परमात्मा को मानता नहीं, इसलिए उससे रिपेंटेंस के लिए, आखिरी प्रायश्चित्त के लिए कैसे कहे। वह डरा हुआ खड़ा है। और जब आखिरी क्षण में रसल के मुंह से निकला, हे परमात्मा, तो उसकी हिम्मत बढ़ी। उसने कहा कि क्या तुम परमात्मा को मानते हो? तो बर्टेड रसल ने आंख खोली और कहा कि तुम कौन हो! उसने कहा कि मैं पादरी हूं। डरा हुआ खड़ा हूं। मैं आया था कि प्रायश्चित करवा दूं, लेकिन सोचा कि तुम तो परमात्मा को मानते ही नहीं। अच्छा है तुम मानते हो, तो प्रायश्चित्त कर लो। तो रसल ने कहा, घर आए मेहमान को वापस लौटाना ठीक नहीं, इसलिए मैं प्रायश्चित्त करता हूं। और बर्टेड रसल ने कहा कि 'हे परमात्मा, यदि कोई परमात्मा हो, तो मेरी आत्मा को क्षमा कर देना, यदि मेरी कोई आत्मा हो!' उस पादरी ने कहा, यह तुम क्या कर रहे हो? तो रसल ने कहा कि बिना सोचे मैं कुछ भी नहीं कर सकता 228 ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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