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________________ करनेवाले लोगों के मिलन को। महावीर संघ कहते थे कुछ एक-सी यात्रा पर समस्वरता को अनुभव करनेवाले लोगों की मित्रता को, सहपथिकों को, फेलो-ट्रैवलर्स को। महावीर के लिए संघ का अर्थ आर्गनाइजेशन नहीं है। संघ का अर्थ संगठन नहीं है। क्योंकि संगठन तो सदा किसी के खिलाफ करना पड़ता है। संगठन सदा ही किसी के खिलाफ होता है। संगठन किसी की शत्रुता में होता है। संगठन किसी से अपनी रक्षा के लिए होता है या किसी पर आक्रमण के लिए होता है। ___अब महावीर को न तो किसी से अपनी रक्षा करनी थी और न ही किसी पर आक्रमण करना था। इसलिए महावीर के लिए संघ का अर्थ वह नहीं होता जो हमारे लिए होता है। हमारे लिए तो हम संघ बनाते ही तब हैं...मुसलमान कहता है, संगठित हो जाओ! क्योंकि इस्लाम खतरे में है। हिंदू कहता है, संगठित हो जाओ! क्योंकि हिंदू धर्म खतरे में है। हिंदस्तान कहता है. संगठित हो जाओ। क्योंकि चीन हमला कर रहा है। पाकिस्तान कहता है, संगठित हो जाओ! क्योंकि हिंदुस्तान दुश्मन है, पड़ोस में खड़ा है। हमारे लिए संगठन का अर्थ सदा ही आक्रमण या रक्षा है। महावीर को किस पर आक्रमण करना है, किससे रक्षा करनी है! महावीर के लिए संघ का कुछ और ही अर्थ है। संघ का महावीर के लिए अर्थ है एक कम्यूनियन; संघ का महावीर के लिए अर्थ है एक समान चेता, समान खोजी, सहपथिकों का मिलन। इसमें कोई आर्गनाइजेशन नहीं है, इसमें कोई आर्गनाइजेशन की बाहरी व्यवस्था नहीं है। जैसे चार आदमी एक गांव में संगीत से प्रेम करते हैं और वे चारों लोग बैठकर रात अपनी महफिल जमा लेते हैं। कोई तबला पीटता है, कोई हारमोनियम बजाता है। यह कोई संघ नहीं है, यह सिर्फ समान चेता, समान इच्छा रखनेवाले लोगों का मिल जाना है। एक गांव में चार आदमी ध्यान करते हैं। वे चारों मिल कर एक कमरे में बैठकर परमात्मा के लिए अपने को समर्पित करते हैं। यह कोई संघ नहीं है। यह किसी के खिलाफ नहीं है, किसी के पक्ष में नहीं है। यह मिलन है। ___ महावीर के लिए संघ का अर्थ है कम्यूनियन, ऐसे लोगों का मिलन जो एक ही खोज पर, एक ही यात्रा पर निकले। यह संघ उपयोगी हो सकता है, संगठन के अर्थों में नहीं, मिलन के अर्थों में। यह उपयोगी हो सकता है, बहुत उपयोगी हो सकता है। क्योंकि इस जगत में हमारा सारा जीवन ही हमारे चारों तरफ जो है उससे जुड़ा है। अगर आप एक गांव में अकेले हैं संगीत को प्रेम करने वाले और अगर उस गांव में दस लोग संगीत से प्रेम करनेवाले कभी साथ बैठकर गीत गा लेते हैं, तो वे दसों ही ज्यादा समृद्ध हो जाते हैं, वे दसों ही ज्यादा प्रसन्न और सुखी हो जाते हैं। __ और मैंने तो सुना है-पता नहीं कहां तक सच है, लेकिन सच मालूम होता है-मैंने सुना है कि अगर एक सितार को बजाया जाये एक सूने मकान में और दूसरे सितार को दूसरे कोने में बिना बजाये रख दिया जाए और सिर्फ एक सितार को बजाया जाये तो कुशल सितारवादक दूसरे सितार के तारों को भी झनझना देता है। बजेगा एक ही, लेकिन इसकी 218 ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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