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________________ यह होता है कि अब सब कुछ तय हो गया, फिक्स्ड हो गया। अब तरलता नहीं है, लिक्विडिटी नहीं है। नहीं, जब मैं यह कह रहा हूं कि चेहरे मत बदलें, तो मेरा मतलब यह नहीं है कि चेहरे को पत्थर का कर लें। मैं यह कह रहा हूं कि नकली चेहरे मत बदलें। आपका असली चेहरा तो बदलेगा, प्रतिपल बदलेगा। जब आकाश में चांद निकलेगा, तब वह और होगा; और जब अंधेरी रात होगी, तब वह और होगा; जब सुबह फूल खिलेंगे, तब और होगा; और जब सांझ फूल झरेंगे, तब और होगा; और जब रास्ते पर एक भिखारी दिखायी पड़ेगा, तब और होगा। होगा ही । होना ही चाहिए। जिंदगी सेंसिटिविटी है, जिंदगी संवेदनशीलता है, और चेहरा तरल होना चाहिए; लेकिन होना आपका चाहिए । तरलता आपकी होनी चाहिए। वह बदलाहट तो प्रतिपल होती रहेगी, क्योंकि प्रतिपल जिंदगी में सब बदल रहा है। यहां कुछ भी ठहरा हुआ नहीं है। यहां सब बदल रहा है। इस प्रतिपल हो रही बदलाहट में आप भी बदलेंगे। हवा के झोंके आयेंगे तो पत्ता पूरब की तरफ उड़ेगा, हवा के झोंके आयेंगे तो पश्चिम की तरफ उड़ेगा, हवा रुक जायेगी तो पत्ते ठहर जायेंगे। जिंदगी ठीक वृक्ष पर लटके हुए पत्ते की तरह है । सब प्रतिपल कंप रहा है। जिंदगी में परिवर्तन के अतिरिक्त और कोई भी स्थिरता नहीं है। जिंदगी में परिवर्तन ही एकमात्र चीज है, जो परिवर्तित नहीं होती है। हेराक्लाइटस ने कहा है, यू कैन नॉट स्टेप ट्वाइस इन द सेम रिवर । तुम एक ही नदी दुबारा नहीं उतर सकते हो। में एक ही क्षण में भी दुबारा नहीं उतरा जा सकता है। जिंदगी एक नदी है, इसमें सब बदलता रहेगा। लेकिन वह बदलनेवाली चीज आपकी हो, वह चेहरा आपका हो, वह प्रामाणिक हो । आप हों, फिर भले ही बदलते रहें । बदलना जिंदगी है । और इस बदलाहट में भी अगर उसका स्मरण रह सके, जो भीतर इस बदलाहट को भी देखता रहता है, तो समाधि उपलब्ध हो जाती है। चेहरा आपका हो; बदलते हुए चेहरे की धारा में पीछे साक्षी, विटनेस भी हो, जो देखता रहे। जो देखे कि जब चांद निकलता है, तो आंखें हंसती हैं; जब अंधेरी रात आती है, तो आंखें रोती हैं; और जब फूल महकते हैं, तो मन नाचता है; और जब फूल झरते हैं, तो प्राण रोते हैं; और जब प्रियजन मिलते हैं, तो आनंद मालूम होता है; और जब प्रियजन बिछुड़ते हैं, तो दुख मालूम होता है - यह सब देखता रहे पीछे कोई आपके । वह पीछे देखनेवाला भी है। लेकिन चेहरा आपका हो, तो वह देखता भी रहे। नकली, प्लास्टिक के चेहरों में वह देखे भी क्या ! वे नहीं बदलते । जब नकली चेहरा आप बदलते हैं, तो चेहरा बदलना पड़ता है - एक चेहरा हटाकर दूसरा लगाना पड़ता है। जब आपका अपना चेहरा बदलता है, तो वही चेहरा जिंदगी के नये सरअंजाम में, जिंदगी की नई धारा में, नया हो जाता है। चेहरा वही होता है, सिर्फ जिंदगी के नये रिस्पांस, जिंदगी के प्रति नई प्रतिध्वनि, उसे नया कर जाती है। लेकिन भीतर कोई जाग कर देखता रहे, तो धीरे-धीरे बदलता हुआ चेहरा संसार मालूम पड़ने अचौर्य (प्रश्नोत्तर) Jain Education International For Personal & Private Use Only 201 www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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