SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 212
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ है, वैसा ही होगा; जैसा है, वैसा ही दिखलायेगा। तब मुखौटे गिरते हैं। और तब आदमी का असली चेहरा प्रकट होना शुरू होता है। सबके पास असली चेहरे हैं, लेकिन हमने इतने-इतने मुखौटे उन पर ओढ़े हैं कि हमें खुद भी पता नहीं रह गया कि मेरा असली चेहरा कौन-सा है। आईने के सामने भी जब आप खड़े होते हैं, तो सौ में निन्यानबे मौके यही होंगे कि आईने में जिसको देखकर आप हंस रहे होंगे, वह मुखौटा होगा। आईने में भी हम वही नहीं होते, जो हम हैं। आईने में भी अपने को हम वही दिखलायी पड़ना चाहते हैं, जो हम सोचते हैं कि हम हैं। तो आईने के सामने भी आदमी बन-ठन कर खड़ा हो जाता है! ____ मैंने सुना है एक औरत के संबंध में कि वह बदशकल थी। कोई उसके सामने आईना कर दे, तो वह आईना तोड़ देती थी। वह कहती थी, कहां का रद्दी आईना सामने ले आए, शकल को बिलकुल खराब किये दे रहा है। आईने तोड़ देती थी, क्योंकि आईने में दिखायी पड़ता था कि शकल बदसूरत है, तो कहती थी कि आईना खराब है। ___ हम सब भी आईने तोड़ना पसंद करेंगे, शकल बदलनी पसंद नहीं करेंगे। लेकिन आईने तोड़ने से शकलें नहीं बदलती हैं, और आईने तोड़ने से जिंदगी नहीं बदलती। जिसे मैं मुखौटा कह रहा हूं, उससे मेरा यह प्रयोजन है कि झूठे चेहरे जो हम आरोपित कर लेते हैं अपने पर, न करें। इसका यह भी मतलब नहीं है कि जिंदगी में चेहरे बदलेंगे नहीं। जिंदगी में चेहरा रोज बदलेगा, लेकिन वह आपका ही चेहरा होना चाहिए। जब जिंदगी में अंधेरा छायेगा, तो आंखों में आंसू भी आयेंगे; कल जब एक मित्र मर जायेगा, तो आंसू भी आयेंगे। और कल जब दूर का बिछुड़ा हुआ साथी मिलेगा, तो हृदय में धड़कनें भी उठेगी खुशी की, और गीत भी निकलेंगे। चेहरा तो बदलेगा आपका प्रतिपल। उसे बदलना चाहिए। रिस्पांसिव होना चाहिए। लेकिन वह चेहरा आपका ही होना चाहिए। __मैं यह नहीं कह रहा हूं कि एक ही चेहरा बना कर बैठे रहें। फिर तो पत्थर का चेहरा चाहिए। फिर जिंदगी नहीं चल सकती। फिर तो आपके पास एक चेहरा चाहिए, जो पत्थर का हो...। __ मैंने सुना है कि अमेरिका के एक बहुत बड़े करोड़पति के पास एक आदमी दान लेने गया। दान उसने छोटा-सा ही मांगा था। लेकिन उस करोड़पति ने कहा कि मैंने एक नियम बना रखा है : मेरी एक आंख नकली है— पत्थर की, और एक असली है। जो आदमी बता दे कि मेरी कौन-सी आंख नकली है, उसी को मैं दान देता है। और अब तक कोई बता नहीं पाया है। तुम बताओ। उस आदमी ने देखा और कहा कि आपकी बाईं आंख नकली है। उस करोड़पति ने कहा, हैरान कर दिया तुमने, कैसे पता चला? उस आदमी ने कहा, बाईं आंख में थोड़ी दया मालूम पड़ती है। मैंने सोचा कि इसे पत्थर की होना चाहिए। चेहरे सख्त और कठोर नहीं हो सकते। सिर्फ मरे हुए आदमी के कठोर हो सकते हैं, जिंदा आदमी के नहीं हो सकते। बच्चे के चेहरे को देखें, जैसे हवा के झोंके बदल रहे हों, ऐसे बदल रहा है। बूढ़े के चेहरे को देखें, जैसे पथरीला हो गया है। बूढ़े चेहरे का मतलब ही 200 ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy