________________
से मुक्त होने लगता है; उसकी निजता उभरने लगती है; फिर वह अपने ढंग से हंसता है, जीता है। यह दुनिया बहुत सुंदर हो सकती है। यहां अगर लोग हंसते अपने ढंग से हों, रोते अपने ढंग से हों, सोचते अपने ढंग से हों, तो यह दुनिया बहुत प्राणवान और जीवंत हो सकती है। ___अभी यह दुनिया जीवंत नहीं है; मुर्दो का एक बहुत बड़ा संग्रह है, जहां सब मरे हुए जी रहे हैं। यद्यपि हमें पता नहीं चलता, क्योंकि हमारे चारों तरफ भी हमारे जैसे ही मुर्दे हैं। हमने भी सुबह अखबार पढ़ा है, पड़ोसी ने भी अखबार पढ़ा है। वह भी अखबार से बोल रहा है, हम भी अखबार से बोल रहे हैं। हमने भी कुरान पढ़ी है, उसने भी कुरान पढ़ी है; वह भी कुरान से बोल रहा है, हम भी कुरान से बोल रहे हैं। उसने भी वहीं से सीखा है, जहां से हमने सीखा है। हमारी बातें तालमेल खाती हैं और ऐसा लगता है कि सब ठीक चल रहा है, लेकिन ठीक कुछ भी नहीं चल रहा है। ___ इतना दुख नहीं हो सकता, अगर जिंदगी ठीक चलती हो। और जो आदमी अपने को पा ले, उस आदमी की जिंदगी में चाहे और कुछ भी न रहे, अपना होना ही इतना काफी होता है कि कुछ भी न हो, तो भी उसके आनंद को नहीं छीना जा सकता है। उससे सब छीन लिया जाये, लेकिन उसके आनंद को नहीं छीना जा सकता। क्योंकि निजता से बड़ा कोई भी आनंद नहीं है।
जब एक फूल खिलता है अपनी पूर्णता में, तब आनंद की सुगंध चारों तरफ बह उठती है। बस, फूल का पूरा खिल जाना ही उसका आनंद है। आदमी की भी निजता का फूल, इंडिविजुअलिटी का फूल, जब पूरा खिल जाता है, तो जीवन आनंद से भर जाता है। फुलफिलमेंट, आप्त हो जाता है, सब भर जाता है। फिर कुछ भी न हो-धन न हो, यश न हो, पद न हो तो भी सब-कुछ होता है। और यदि यह निजता न हो, तो पद हों बड़े, धन हो बहुत, यश हो काफी, तब भी कुछ नहीं होता, भीतर सब खाली होता है। ___ आज पश्चिम में एक शब्द की बहुत जोर से चर्चा है। वह शब्द है-एंप्टीनेस। आज पश्चिम में जितने बड़े विचारक हैं- चाहे सात्र हो, चाहे कामू हो, चाहे मार्सेल हो, और चाहे हाइडेगेर हो-आज पश्चिम के जितने चिंतनशील लोग हैं, वे सब कहते हैं कि हम बड़े रिक्त मालूम हो रहे हैं, हम बिलकुल खाली-खाली हैं। ऐसा लगता है कि हमारे भीतर कुछ भी नहीं है; हम सिर्फ कंटेनर रह गए हैं, कंटेंट बिलकुल नहीं है। हम सिर्फ डब्बा हैं, जिसके भीतर कुछ भी नहीं बचा है। भीतर सब रिक्त है और खाली है। ___ पश्चिम में आज रिक्तता की बड़ी जोर से चर्चा है; होनी नहीं चाहिए। क्योंकि आज उनके पास धन है बहत, जितना पृथ्वी पर कभी भी नहीं था। उनके पास महल हैं आकाश को छते हुए, जिन महलों के सामने अशोक और अकबर के महल झोपड़े हो जाते हैं। उनके पास चांद तक पहुंचने की शक्ति है। उनके पास सारी पृथ्वी को घड़ी आध घड़ी में विनष्ट कर देने का विराट आयोजन है। फिर रिक्तता क्यों है? फिर एंप्टीनेस क्यों है? फिर क्या कारण है कि भीतर सब खाली है?
188
ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org