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पड़ता है वह तो अंतर-संबंध है, लेकिन एक और भी जीवन है भीतर, जो अंतर-संबंधित होता है। वह व्यक्ति अगर न हो, तो अंतर-संबंध सब झूठ हो जाते हैं। जुड़ेगा कौन?
प्रेम एक संबंध है; लेकिन प्रेमी का व्यक्तित्व भी चाहिए। और वह व्यक्तित्व यदि उधार है, तो व्यक्तित्व नहीं है। व्यक्तित्व सदा अपना ही होता है, उधार नहीं। जो उधार है, वह व्यक्तित्व ही नहीं है। वह सिर्फ धोखा है। वह चेहरा है, जो हमने दूसरों को दिखाने के लिए
ओढ़ लिया है। उस चेहरे के भीतर कोई भी नहीं है। प्राणवान, निजता लिये हुए, इंडिविजुअलिटी लिये हुए कोई भी नहीं है। जिसे हम साधारणतया व्यक्ति कहते हैं, वह इंडिविजुअल नहीं है, सिर्फ पर्सनैलिटी है। जिसे हम साधारणतया व्यक्ति कहते हैं, वह निजता नहीं है, बल्कि ओढ़े हुए वस्त्रों का समूह है। जैसे प्याज है। प्याज के छिलके को अगर कोई उतारता चला जाये, तो ऐसा लगेगा कि अब इस छिलके के बाद प्याज मिलेगी, अब इस छिलके के बाद प्याज मिलेगी! छिलकों को उतारता चला जाये तो छिलके ही मिलते हैं, प्याज कभी मिलती नहीं। ऐसे ही हम भी एक गठरी हैं, जिसमें सब उधार इकट्ठा होता चला गया है। लेकिन अगर इस उधार व्यक्तित्व के पीछे उतरते चले जायें. तो पीछे शन्य ही हाथ लगेग और पीछे यदि आत्मा न हो, निजता न हो, तो सारा जीवन झूठा हो जाता है।
जीवन की गहरी से गहरी चोरी अनुकरण, नकल, अनुसरण है। जब भी कोई व्यक्ति किसी और जैसा बनने की चेष्टा में रत होता है तभी गहरे में चोर हो जाता है। जब भी कोई व्यक्ति किसी और को अपने ऊपर ओढ़ लेता है, तो नकली हो जाता है, असली नहीं रह जाता। ऑथेंटिक, प्रामाणिक निजता उसकी खो जाती है।
इसका यह अर्थ नहीं है कि दूसरों से आई हुई तरंगें हम ग्रहण न करें। इसका यह भी अर्थ नहीं है कि दूसरों से हम संबंधित न हों। दूसरों से हम जरूर ही संबंधित हों, लेकिन स्व को बचाते हुए। क्योंकि फिर संबंधित कौन होगा, अगर स्व भी खो गया। दूसरों से तरंगें आयेंगी, उन्हें लेना भी पड़ेगा; उन्हें लें जरूर, लेकिन वे तरंगें ही न बन जायें। उन्हें लें भी, दें भी; लेकिन उनके पार भी आप बचे रहें; उनसे अछूता भी पीछे कोई खड़ा रहे; उस सारे लेन-देन के बाद भी कोई बच जाये, जो लेन-देन के बाहर है।
अंग्रेजी में एक शब्द है-एक्सटेसी। हमारे पास एक शब्द है-समाधि। समाधि को जो लोग अंग्रेजी में रूपांतरित करते हैं, वे एक्सटेसी करते हैं। एक्सटेसी बड़ा अदभुत शब्द है। एक्सटेसी का मतलब है, बाहर खड़े होना, टु स्टैंड आउट साइड। एक्सटेसी का मतलब है, जीवन की सारी धारा में होते हुए भी हर पल बाहर खड़े होना। जीवन में बहते हुए, जीवन के बाहर भी हमारे भीतर कुछ रह जाये, वही हमारी निजता है, वही हमारा होना है। अगर हम जीवन में पूरी तरह खो गए हैं और हमारे पास हमारे संबंधों के अतिरिक्त कुछ भी न बचा, तो हमने अपनी आत्मा खो दी है।
आत्मा का और कोई अर्थ नहीं है। आत्मा का अर्थ ही यही है कि सब हो फिर भी भीतर, कुछ अछूता, अस्पर्शित, अनटच्ड, बाहर रह जाये। रास्ते पर चल रहे हैं; लेकिन चलते समय भी कुछ आपके भीतर होना चाहिए, जो नहीं चल रहा है। क्रोध से भरे हैं; लेकिन क्रोध से
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ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया
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